वर्ल्ड स्टैंडर्ड वेबसाइट की मानें तो दुनिया की लगभग 35% आबादी बाईं ओर ड्राइव करती है। ऐसा करने वालों में उन्हीं देशों की संख्या अधिक है जो अंग्रेजों के गुलाम रहे हैं। अमेरिका, अफगानिस्तान, बहरीन, अलबेनिया जैसे कई देश हैं, जहां सड़क के दाईं तरफ गाड़ी चलाने का चलन है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा हैं कि अलग-अलग देशों में ड्राइविंग को लेकर अलग-अलग नियम क्यों है? आइए जानते हैं:
गाड़ियों को सड़क की बाईं तरफ चलाने चलन
माना जाता है कि यह प्रथा प्राचीन रोम से पहले की है। रोमनों ने अपनी गाड़ियों और रथों को बाएं हाथ से चलाया, ताकि वे अपने दाहिने हाथ को मुक्त कर सकें ताकि वे दुश्मन के हमलों से बचाव के लिए हथियारों का इस्तेमाल कर सकें।
जब मोटर गाड़ी नहीं थी। बम बंदूक नहीं थे। यात्रा घोड़ों पर हुआ करती थी। युद्ध तलवार से लड़े जाते थे। तब अधिकतर क्षेत्रों में घुड़सवार सड़क की बाईं ओर चलते थे। ज्यादातर तलवारबाज दाहिने हाथ से मुकाबला करने में सहज थे, इसलिए वह सड़क की बाईं तरफ चलते थे, शरीर पर बाईं तलवार लटकाते थे और जब युद्ध की स्थिति में दाहिने हाथ से तलवार खींच मुकाबला करते थे।
सड़क पर बाईं ओर चलने के चलन का तार ब्रिटेन के शाही परिवार से भी जुड़ा है। दरअसल, रानी एलिजाबेथ के समय में सिर्फ शाही परिवार के लोग ही बाईं तरफ चल सकते थे। इसलिए आम जनता को दाएं तरफ चलती थी। जाहिर है पहले मोटर गाड़ियां भी शाही परिवार के पास ही थी, वह उसे बाईं तरफ चलाते थे। इसलिए सड़क पर गाड़ियों बाईं तरफ चलाने का चलन चल पड़ा।
दाएं तरफ चलने का चलन
सड़क के दाईं तरफ चलने की परंपरा का संबंध एक विद्रोह से है। एलिजाबेथ और शाही परिवार दाएं तरफ से चलता था। जनता को अपनी जागीर समझता था। फिर 1789 में फ्रेंच क्रांति हो गई। जनता अब शाही परिवारों के खिलाफ विद्रोह करना शुरू कर दिया। जनता बराबरी की मांग करने लगी है और अमीरों अपना दुश्मन समझने लगी।
इस विद्रोह से घबराया शाही परिवार आम जनता के साथ दाएं तरफ चले लगा। जो बाईं तरफ से चलता उसे शाही परिवार का सदस्य या रसूखदार समझा जाता और जनता उसपर हमला कर देती। अपनी पहचान छिपाने के लिए शाही परिवार समेत अन्य साधन संपन्न लोगों भी दाईं तरफ से चलने लगे।