ऋषिका सिंह
लंदन का ऐतिहासिक इंडिया क्लब 17 सितंबर, 2023 को स्थायी रूप से बंद हो गया। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान UK (यूनाइटेड किंगडम) का यह क्लब भारतीयों के लिए विश्राम स्थल हुआ करता था। यहां का रेस्तरां भारतीय खाना परोसता था। यह लाउंजिंग क्लब के रूप में भी काम करता था, जहां ब्रिटेन में भारत से जुड़े लोग अक्सर मिलते थे। इसके सुनहरे दिनों में ब्रिटिश लोगों के साथ-साथ कई भारतीय राजनेता भी यहां आते रहें।
पिछले कुछ वर्षों में इसके आसपास कमर्शियल प्रॉपर्टी की संख्या बढ़ी थी। पूरे ब्रिटेन में किराए बढ़ने के कारण इसे कुछ समय के लिए बंद भी किया गया था। आइए जानते हैं क्या इंडिया क्लब की कहानी-
इंडिया क्लब की शुरुआत कैसे हुई?
यह क्लब लंदन के स्ट्रैंड कॉन्टिनेंटल होटल में था। इसकी शुरुआत 1951 में इंडिया लीग द्वारा की गई थी। यह एक ब्रिटिश संगठन था, जो भारतीय स्वतंत्रता और स्वराज का समर्थन करता था। इसमें ब्रिटिश समाज के अभिजात वर्ग के सदस्यों को शामिल किया गया। आजादी के बाद इस क्लब ने भारत-ब्रिटिश मित्रता को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इंडिया क्लब जल्द ही लीग जैसे समूहों के लिए आधार बन गया, जो एशियाई समुदाय की सेवा कर रहे थे।
क्लब लंदन की वेबसाइट से पता चलता है, “इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन, इंडियन वर्कर्स एसोसिएशन और ब्रिटेन का इंडियन सोशलिस्ट ग्रुप ऐसे कुछ समूह थे जो अपने कार्यक्रमों और गतिविधियों के लिए 143 स्टैंड (इंडिया क्लब का एड्रेस) का इस्तेमाल करते थे। यह इमारत इंडिया लीग की नई शाखाओं के लिए भी एक आधार थी, जो इस पते से एक मुफ्त कानूनी सलाह ब्यूरो और एक शोध और अध्ययन इकाई चलाती थी।”
वेबसाइट पर आगे बताया गया है, “ऐसे समय में जब ब्रिटेन में एशियाई लोगों का रोजमर्रा जीवन और अनुभव कठिन हो सकता था, लंदन क्लब उपमहाद्वीप के प्रवासी समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। प्रवासियों की एक पूरी पीढ़ी के लिए, यह घर से दूर एक घर था।” हाल में लंदन क्लब डोसा और करी परोसने के अलावा पैनल डिस्कशन और फिल्म स्क्रीनिंग भी आयोजित करने लगा था।
इंडिया क्लब में कौन-कौन आ चुका है?
पीटीआई के अनुसार, पत्रकार चंदन थरूर इंडिया क्लब के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उनकी बेटी स्मिता थरूर अब भी लंदन में ही रहती है। स्मिता अक्सर अपने भाई शशि थरूर (कांग्रेस सांसद ) और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ लंदन क्लब जाती रहती थीं।
स्मिता बताती हैं कि स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन लंदन क्लब के कई प्रतिष्ठित आगंतुकों में से थे। आर्किटेक्चरल डाइजेस्ट के एक लेख से पता चलता है कि क्लब की दीवारें उन प्रमुख भारतीय और ब्रिटिश हस्तियों के चित्रों से सजी हैं, जिन्होंने कभी न कभी क्लब का दौरा किया। इसमें पूर्व भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू, पहले ब्रिटिश भारतीय सांसद दादाभाई नौरोजी, दार्शनिक बर्ट्रेंड रसेल, कलाकार एमएफ हुसैन… और भी कई लोगों की तस्वीर है।
राजनयिक और पूर्व भारतीय रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन की भी इंडिया क्लब की स्थापना में भूमिका थी। स्कूल में सेंटर फॉर माइग्रेशन एंड डायस्पोरा स्टडीज की संस्थापक अध्यक्ष पार्वती रमन कहती हैं, “मेनन का इरादा इंडिया क्लब को एक ऐसी जगह बनाने का था, जहां गरीबी भारतीय युवा खाना खा सकें, राजनीति पर चर्चा कर सकें और अपने भविष्य की योजना बना सकें।” बाद में मेनन यूनाइटेड किंगडम में भारत के पहले उच्चायुक्त भी बने।
इंडिया क्लब अब क्यों बंद हो रहा है?
रॉयटर्स के अनुसार, पारसी मूल के यादगर मार्कर 1997 से गोल्डसैंड होटल्स लिमिटेड के निदेशक के रूप में अपनी पत्नी फ्रेनी और बेटी फ़िरोज़ा के साथ लंदन क्लब चला रहे थे। उन्होंने लंदन क्लब को बचाने के लिए ‘सेव इंडिया क्लब’ नाम से एक पब्लिक अपील की भी शुरुआत की थी। इससे 2018 में इमारत को आंशिक रूप से ध्वस्त होने से रोकने की शुरुआती लड़ाई में जीत मिली।
लंदन क्लब के संचालकों को मकान मालिकों से एक नोटिस मिला था, जिसके तहत होटल को आधुनिक बनाया जाना था। लेकिन वेस्टमिंस्टर सिटी काउंसिल ने इस विस्तार योजना के आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अनुमति देने से एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थान को नुकसान होगा।
कोविड-19 से लगे लॉकडाउन के कारण यूके के कई रेस्तरां के व्यवसाय प्रभावित हुए और रहने की लागत के संकट के बीच किराए में तेजी से बढ़ोतरी हुई। ऐसे में इंडिया क्लब चलाना इसके मालिकों के लिए मुश्किल हो गया।
प्रबंधक फ़िरोज़ा मार्कर ने रॉयटर्स को बताया कि इंडिया क्लब ने इस सप्ताह अपने सबसे व्यस्त दिनों का अनुभव किया है और वह रेस्तरां के लिए पास में एक वैकल्पिक स्थान की तलाश कर रही है।