कम छात्र-छात्राओं वाले सरकारी मिडिल और हाई स्कूलों का हरियाणा सरकार आपस में वियल करने जा रही है। सरकार के इस कदम का शिक्षकों और विद्यार्थियों का एक वर्ग विरोध कर रहा है। सोमवार और मंगलवार को विद्यार्थियों और ग्रामिणों ने कई स्कूलों के बाहर प्रदर्शन भी किया। आप और कांग्रेस जैसे विपक्षी दल भी शिक्षकों और स्कूलों के विलय की इस नीति का विरोध कर रहे हैं।
क्या है School Merger Scheme?
राज्य सरकार ने हाल ही में एक लोकेशन की विभिन्न सरकारी स्कूलों के एकीकरण का काम शुरू किया है। प्रारंभ में 25 या उससे कम स्टूडेंट्स वाले 105 सरकारी माध्यमिक और उच्च विद्यालयों का 3 किमी के दायरे में उपलब्ध नजदीकी सरकारी स्कूलों में विलय किया जा रहा है।
योजना के मानदंडों के अनुसार, कक्षा 6 से 8 तक के ऐसे स्कूल जिनमें स्टूडेंड्स की संख्या 20 से कम है और कक्षा 9 से 12 तक के ऐसे स्कूल जिनमें स्टूडेंट्स की संख्या 25 से कम है उनका विलय 3 किमी के भीतर के सरकारी मिडिल/हाई/सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में कर दिया जाएगा।
योजना के एक अन्य भाग में 1 किमी के दायरे में स्थित स्कूलों का विलय भी शामिल है। सरकार ने कहा है कि इस पहल का उद्देश्य उपलब्ध बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना है।
शिक्षक क्यों कर रहे हैं विरोध?
सरकारी स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि इस कदम से छात्रों, खासकर पिछड़े समुदायों के छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी। हरियाणा विद्यालय शिक्षक संघ के महासचिव प्रभु सिंह ने कहा: ”विलय की कवायद के तहत कई सरकारी स्कूल बंद हो जाएंगे। अधिकांश गरीब अपने बच्चों को तभी स्कूल भेजते हैं जब स्कूल घर के पास हो। यदि उन्हें दूर-दराज के स्थानों पर जाना पड़ेगा तो नामांकन में कमी आएगी। इसके अलावा, ‘शिक्षा का अधिकार’ अधिनियम के अनुसार, 1:35 का अनुपात (शिक्षक-छात्र) होना चाहिए, न कि 1:50 जैसा कि वर्तमान में स्कूलों के लिए दिया जा रहा है।”
संघ के पूर्व अध्यक्ष वज़ीर सिंह ने कहा: ”हमें यह पूछने की ज़रूरत है कि कुछ स्कूलों में छात्रों की संख्या कम क्यों हुई है। यदि स्कूलों में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त होगी, तो छात्रों की संख्या कम नहीं होगी। लेकिन विलय की इस कवायद से स्पष्ट है कि सरकार शिक्षकों के खाली पदों को नहीं भरना चाहती है।”
शिक्षक संघ को आशंका है कि यदि विलय की योजना जारी रही तो अधिकतर स्कूल बंद हो जाएंगे और अंततः स्कूली शिक्षा का निजीकरण को जाएगा। विरोध कर रहे छात्रों और उनके अभिभावकों का आरोप है कि कई स्कूलों में विज्ञान और गणित जैसे विषयों के शिक्षक नहीं हैं।
विपक्ष का क्या कहना है?
कांग्रेस और आप दोनों विलय योजना का विरोध कर रहे हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है: ”स्कूलों में लगभग 38,000 शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। हजारों युवा भर्ती का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन यह सरकार भर्ती से बचने के लिए रिक्त पदों को खत्म कर रही है। नवंबर 2014 से अप्रैल 2022 तक, मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने राज्य में केवल 8 नए स्कूल खोले हैं और केवल 463 स्कूलों को अपग्रेड किया है।”