उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने यूपी के दोनों उप मुख्यमंत्रियों- केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) और ब्रजेश पाठक (Brajesh Pathak) को मुख्यमंत्री बनने का ऑफर दिया है।
रामपुर में सपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने पहुंचे अखिलेश यादव ने मंच से कहा, ”प्रदेश में दो डिप्टी सीएम घूम रहे हैं। वे 100 विधायक लेकर आएं। 100 विधायक हम देते हैं और सीएम बन जाएं।”
कभी जनसंघ ने चरण सिंह को दिया था ऑफर
अखिलेश यादव के बयान पर इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार श्यामलाल यादव ने 60 के दशक का एक राजनीतिक किस्सा याद किया है। उन्होंने ट्विटर पर बताया है कि कैसे तब जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख चौधरी (Nanaji Deshmukh) चरण सिंह (Charan Singh) से कहा करते थे- जिस दिन जनसंघ के 100 विधायक हो जाएंगे, हम आपको सीएम बना देंगे।
1967 के यूपी विधानसभा चुनाव में जनसंघ 98 सीट जीतने में कामयाब हो गयी। चरण सिंह ने 16 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दिया और 3 अप्रैल, 1967 को यूपी के पांचवें सीएम के रूप में शपथ ली। वह राज्य के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे।
कांग्रेस के हाथ से कैसे गई थी सत्ता?
1967 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पहली बार 425 सदस्यीय राज्य विधानसभा में 199 सीटें जीतने के बावजूद बहुमत हासिल करने में नाकाम हुई थी। यह वही दौर था, जब दिग्गज सोशलिस्ट नेता राम मनोहर लोहिया उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के लिए अभियान चला रहे थे।
लोहिया और अन्य विपक्षी नेताओं को यह मौका 1967 के यूपी विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद मिला, जब विधानसभा त्रिशंकु हो गया। लोहिया और राजनारायण ने भारतीय जनसंघ के नानाजी देशमुख के समर्थन से तत्कालीन वरिष्ठ कांग्रेस नेता चौधरी चरण सिंह को 16 कांग्रेस विधायकों के साथ अपनी तरफ कर लिया।
उस चुनाव में कांग्रेस के सामने विपक्षी दलों ने अपनी स्थिति को मजबूत किया था। तब बीजेएस ने 98, एसएसपी ने 44, सीपीआई ने 13, स्वतंत्र पार्टी ने 12, पीएसपी ने 11, आरपीआई ने 10, सीपीएम ने 1 और निर्दलीय ने 37 सीटें जीती थीं।
अखिलेश के बयान पर केशव प्रसाद मौर्य का जवाब
सपा प्रमुख के ऑफर का जवाब देते हुए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्विटर पर लिखा है, ”सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव आप न मुख्यमंत्री बन पाएंगे न बना पायेंगे। बयानों से लगता है, बौखलाए/खिसियाए ही नहीं मैनपुरी और रामपुर में पराजय देख मानसिक संतुलन भी खो चुके हैं। गुंडागर्दी, बूथ कब्जा कर नहीं पाओगे। जनता ने सपा की साइकिल को खारिज कर दिया है।”