डायबिटीज (Diabetes Symptoms in Hindi) दुनियाभर में तेजी से फैल रही बीमारी के रूप में उभरी है। यह बीमारी युवाओं और बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक में पायी जा रही है। डायबिटीज को गंभीरता से न लेने पर उसके परिणाम जानलेवा हो सकते हैं। डायबिटीज से पीड़ित लोगों में किडनी फेल होने और पैरों के निष्क्रिय हो जाने का खतरा बना रहता है। साथ ही यह हार्ट अटैक का भी कारण बन सकता है।
क्या होता है डायबिटीज? (What is Diabetes?)
भारत सरकार की वेबसाइट National Health Portal of India के मुताबिक, डायबिटीज या मधुमेह एक क्रोनिक बीमारी है। डायबिटीज के मरीजों के खून में शुगर की मात्रा लंबे समय तक अधिक पायी जाती है। चिकित्सकीय भाषा में इस स्थिति हाइपरग्लेसेमिया अर्थात हाई ब्लड शुगर कहते हैं।
कैसे होता है डायबिटीज? (Diabetes Causes)
हमारे शरीर को ग्लूकोज से ऊर्जा मिलती है। लेकिन ग्लूकोज के बनने और उसके कोशिकाओं में पहुंचने की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। दरअसल जब भी हम कुछ खाते हैं हमारा शरीर कार्बोहाइड्रेट को तोड़कर ग्लूकोज बनाता है। इसके बाद हमारे पेट में मौजूद पेंक्रियाज एक हार्मोन निकलता है, जिसके निर्देश पर कोशिकाएं ग्लूकोज को सोख लेती हैं। उस हार्मोन का नाम है- इंसुलिन। इस प्रक्रिया से खून में शुगर की मात्रा संतुलित रहती है।
लेकिन मामला तब बिगड़ता है, जब पैंक्रियाज से इंसुलिन निकलना कम हो जाता है, या बंद हो जाता है। इंसुलिन की गैरमौजूदगी में कोशिकाएं ग्लूकोज को नहीं सोखती और इससे खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ती जाती है, जो अंततः: हाइपरग्लेसेमिया का रूप लेती है। लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर रहने के बाद इंसान डायबिटीज से ग्रस्त हो जाता है।
कितने टाइप का होता है डायबिटीज? (What are the different types of diabetes?)
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, मधुमेह मुख्यत: तीन टाइप का होता हैं: टाइप-1, टाइप-2 और गर्भकालीन मधुमेह।
क्या होता है टाइप-1 डायबिटीज? (What Is Type 1 Diabetes?)
टाइप-1 डायबिटीज को मधुमेह होने के बाद का पहला स्टेज मान सकते हैं। इस स्टेज में शरीर के भीतर इंसुलिन बनना बंद हो चुका होता है। और व्यक्ति को इंसुलिन का इंजेक्शन लगाने की आवश्यकता होती है। इसलिए इस स्टेज को Insulin dependent diabetes mellitus (IDDM) भी कहा जाता है।
क्या होता है टाइप-2 डायबिटीज? (What Is Type 1 Diabetes?)
टाइप-2 डायबिटीज को मधुमेह का दूसरा स्तर माना जाता है। टाइप-2 डायबिटीज से ग्रस्त व्यक्ति का शरीर इंसुलिन तो पैदा करता है, लेकिन उसे अच्छी तरह से उपयोग नहीं कर पाता। कभी-कभी पेंक्रियाज कम मात्रा में इंसुलिन बनाता है। डायबिटीज के इस प्रकार को पहले non-insulin dependent diabetes mellitus (NIDDM) भी कहा जाता है।
टाइप-2 डायबिटीज आम तौर पर अधेड़ या बुजुर्ग लोगों को होता है। कई बार यह मोटे या ऐसे युवाओं को भी शिकार बनाता है, जो शारीरिक श्रम नहीं करते।
क्या होता है गर्भकालीन मधुमेह? (Gestational Diabetes)
गर्भकालीन मधुमेह सिर्फ गर्भवती महिलाओं को होता है। उनका शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, जिससे जच्चा और बच्चा दोनों को खतरा होता है। गर्भवती महिलाएं को इस बीमारी से बचने के लिए खानपान का खास ध्यान रखना होता है, ताकि उनका शुगर लेवल नियंत्रित रह सके।
क्या हैं डायबिटीज के लक्षण? (Symptoms Of Diabetes)
डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को प्यास अधिक लगती है। पेशाब ज्यादा और बार-बार आने लगता है। विशेषकर रात में यह समस्या अधिक होती है। शारीरिक श्रम न करने के बावजूद थकान का महसूस होना भी डायबिटीज के लक्षण हैं। वेट लॉस की कोशिश किए बिना ही वजन का लगातार गिरना, आए दिन मुंह में छाले पड़ जाना, कम दिखाई देना, घाव के भरने में अधिक समय लगना आदि भी डायबिटीज के लक्षण हैं।
