सीलिएक रोग (Celiac Disease) के बारे में खास जागरूकता नहीं है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार, उत्तर भारत में हर 96 में से एक व्यक्ति सीलिएक रोग का शिकार है। इस रोग के बारे सही जानकारी न होने के कारण इसके इलाज में देरी होती है, जिसके परिणाम स्वरूप रोग की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
क्या है सीलिएक रोग (Celiac Disease)
सीलिएक रोग एक ऑटो-इम्यून समस्या है, जो ग्लूटन वाले खाद्य पदार्थों को खाने से होती है। यह एक वंशानुगत बीमारी है और लोगों में किसी भी उम्र में हो सकती है। जो लोग ग्लूटन को अपने शरीर में पचा नहीं पाते हैं उन्हें अक्सर पेट में दर्द, सूजन, दस्त, कब्ज, गैस्ट्राइटिस आदि की शिकायत रहती है। मणिपाल हॉस्पिटल, पटियाला के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. गुरबख्शीश सिंह सिद्धू कहते हैं कि भारत में ग्लूटन वाला खाना आम बात है। इससे सीलिएक रोग का खतरा हो सकता है।
सीलिएक के लक्षण (Celiac Disease)
- लगातार पेट दर्द
- डायरिया की शिकायत
- गैस-अपच की समस्या
- उल्टी-जी मिचलाना
- पेट फूलना
डॉ. सिद्धू कहते हैं कि यदि सीलिएक रोग का इलाज न किया जाए तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं। तमाम गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। जैसे-
कुपोषण: सीलिएक रोग के कारण छोटी आंत खराब हो जाती है, जिससे विटामिन, खनिज और लिपिड सहित महत्वपूर्ण पोषक तत्वों को अब्जॉर्ब करना मुश्किल हो जाता है। यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति अच्छा और संतुलित भोजन करे, तब भी वह कुपोषण का शिकार हो सकता है। जिसके कारण कमजोरी, थकावट, युवाओं में धीमी वृद्धि और अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं।
हड्डियों के विकार और ऑस्टियोपोरोसिस: शरीर की कैल्शियम और विटामिन डी को अब्जॉर्ब करने की ताकत सीलिएक रोग के कारण खत्म हो जाती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इस बीमारी से हड्डी के फ्रैक्चर होने का खतरा भी बढ़ जाता है और शरीर में दर्द और चलने फिरने में परेशानी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती है।
एनीमिया: आयरन की कमी से होने वाली बिमारी एनीमिया, लंबे समय तक सूजन और छोटी आंत को नुकसान पहुंचने के कारण हो सकती है। थकान, कमजोरी, शरीर पीला पड़ना, सांस फूलना और ज्ञान-संबंधी कार्य करने में तकलीफ़, ये सभी एनीमिया के लक्षण हैं।
डायबिटीज: सीलिएक रोग वाले लोगों में टाइप 1 मधुमेह, थायरॉइड की स्थिति और ऑटोइम्यून लीवर की बीमारियों के होने की संभावना अधिक होती है।
इन्फर्टिलिटी: सीलिएक रोग से पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। यदि सीलिएक रोग को लाइलाज छोड़ दिया जाए तो यह महिला में इन्फर्टिलिटी को बढ़ा सकता है। या समय से पहले कम वजन वाले बच्चे के जन्म का कारण भी बनता है, साथ ही यह गर्भपात की संभावना को भी बढ़ाता है।
कैसे करें बीमारी का उपचार?
1- खानपान: डॉ. गुरुबख्शीश सिंह सिद्धू कहते हैं कि एक बार बीमारी का पता लग जाए तो फौरन इलाज शुरू किया जा सकता है। जैसे- सबसे पहले इस बीमारी के मरीजों को अपने खानपान से ग्लूटन वाले आहार को निकाल देना चाहिए। बिना ग्लूटन वाला आहार लें और सख्ती से पालन करें। गेहूं, जौ, राई और उनसे बने किसी भी खाद्य उत्पाद से दूर रहें। उनकी जगह चावल, मक्का, किनुआ, बाजरा और जई जैसे बिना ग्लूटन वाले विकल्प को चुनें। ऐसी दवाओं-प्रोसेस्ड फूड्स से भी सावधान रहें जिनमें ग्लूटन होता है।
2- भंडारण: ग्लूटन फ्री भोजन का भंडारण अलग करें, उसे बनाने की तैयारी भी अलग से करें और खाना पकाने के लिए अलग बर्तनों का उपयोग करें। रसोई के सभी उपकरणों, काउंटरों और सतहों को इस्तेमाल करने से पहले अच्छी तरह से साफ़ करें। ध्यान रखें कि रेस्तरां, शादी-पार्टी जैसी जगहों पर हानिकारक बैक्टीरिया के अनजाने में एक पदार्थ से दूसरे पदार्थ में स्थानांतरित होने का खतरा होता है। ऐसे में वहां भी सावधानी रखने की जरूरत होती है।
3- एक्सपर्ट से सलाह लें: अगर आपको सीलिएक रोग (Celiac Disease) की समस्या है तो ग्लूटन फ्री डाइट के लिए योग्य आहार विशेषज्ञ से बात करें, जिसको सीलिएक रोग के बारे में पूरी जानकारी हो। सही पोषक तत्वों को अपनी डाइट में शामिल करना बहुत जरूरी है।
4- नियमित रूप से जांच करवाएं: अपने रोग की स्थिति पर नजर रखने, पोषक तत्वों की कमी का पता करने और यह जानने के लिए कि आपका ग्लूटन-मुक्त आहार कितनी अच्छी तरह काम कर रहा है, अपने डॉक्टर के साथ नियमित फॉलो-अप जांच कराएं।
5- ड्रग्स-आहार सप्लीमेंट्स: उन सभी विटामिन सप्लीमेंट्स से सावधान रहें जो ग्लूटन को फिलर या बाइंडर के रूप में इस्तेमाल करते हैं। डॉक्टर को अपनी सीलिएक बीमारी के बारे में बताएं ताकि वे ज़रूरत के हिसाब से ग्लूटन फ्री दवा सुझा सकें।