भारत के राष्ट्रपिता (Father of the Nation) माने जाने वाले महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की तरह ही पाकिस्तान (Pakistan) के कायद-ए-आजम (Quaid-I Azam) मोहम्मद अली जिन्ना (Mohammed Ali Jinnah) की जड़े भी गुजरात से जुड़ी हैं। मोहम्मद अली जिन्ना का जन्म 25 दिसंबर, 1876 को कराची में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। लेकिन तब ब्रिटिश इंडिया का हिस्सा था। हालांकि जिन्ना के पूर्वज गुजरात में राजकोट जिले के पानेली मोटी गांव के रहने वाले थे।
जिन्ना के पिता का नाम जेनाभाई ठक्कर और दादा का नाम पूंजाभाई ठक्कर था। पिता एक समृद्ध व्यापारी थे। जिन्ना की माता का नाम मीठीबाई था। कायद-ए-आजम के माता-पिता बिज़नेस के सिलसिले में कराची जाकर बस गए थे। वहीं पर जिन्ना का जन्म हुआ।
‘मछली बेचते थे जिन्ना के पूर्वज’
बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि गुजरात स्थित जिन्ना के पूर्वजों का घर आज भी मौजूद है। वर्तमान में उस घर में प्रवीण भाई पोपट भाई पोकिया रहते हैं। घर को प्रवीण भाई के दादा ने खरीदा था। प्रवीण बताते हैं कि इस घर में जिन्ना के दादा और पिता रहा करते थे।
रिपोर्ट में गांव के ही एक 70 वर्षीय व्यक्ति बतात हैं कि जिन्ना के पूर्वज लोहाना ठक्कर जाति के थे। पूंजाभाई ने जब झींगा मछली बेचने का काम शुरू किया, तब लोहाना-ठक्कर जाति के लोगों ने उनके परिवार को बहिष्कृत कर दिया। इसके बाद परिवार ने इस्लाम धर्म अपना लिया और खोजा मुसलमान बन गए।
भारतीय समाज और राजनीति में विशेषज्ञता रखने वाले डॉ हरि देसाई ने भी जिन्ना के पूर्वजों को हिंदू बताया है। साथ ही मछली बेचने के व्यापार और उससे जाति के भीतर शुरू हुए विरोध का भी जिक्र किया है। भारत के पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने भी अपनी किताब ‘जिन्ना: इंडिया, पार्टिशन, इंडिपेंडेंस’ में जिन्ना के परिवार को खोजा मुस्लिम बताया है।
जेनाभाई से जिन्ना बनने की कहानी
जसवंत सिंह की किताब के हवाले से रजनीश कुमार ने बीबीसी के लिए लिखी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जब कराची में जिन्ना का जन्म हुआ, तो उनके माता-पिता अपने बेटे का नाम एक योजना के तहत रखा।
दरअसल पहले उनका परिवार गुजरात में रहता था। तब परिवार के सभी सदस्यों का नाम ‘हिंदुओं’ की तरह था और उससे कोई समस्या भी नहीं थी। लेकिन कराची में मुस्लिम आबादी के बीच रहते हुए जेनाभाई अपने बेटे का नाम कुछ ऐसा रखना चाहते थे, जिससे कि वह सुरक्षित रहे।
इस योजना के तहत जेनाभाई और मीठीबाई ने अपने बेटे का नाम मोहम्मद अली रखा। लेकिन साथ ही गुजरात में जिस तरह नाम के पीछे पिता का जोड़ा जाता है, उस परंपरा को भी जारी रखा। इस पूरा नाम हुआ- मोहम्मद अली जेनाभाई।
शुरुआती पढ़ाई घर में ही, गुजराती भाषा में हुई। बाद में जेनाभाई ने कराची में शीर्ष की मैनेजिंग एजेंसी डगलस ग्राहम एंड कंपनी के महाप्रबंधक सर फ्रेडरिक ली क्रॉफ़्ट के सुझाव पर मोहम्मद अली जेनाभाई को 1892 में बिजनेस सीखने के लिए लंदन भेजा। वहीं उन्होंने जेनाभाई का अंग्रेजीकरण करते हुए जिन्ना कर दिया। कारोबार सीखने के लिए गए जिन्ना ने बाद में वहीं पढ़ाई भी शुरू कर दी।
लंदन जाने से पहले जिन्ना की मां ने उनकी शादी पानेली मोटी गांव की ही 11 साल की एमीबाई से करवा दी थी। हालांकि जिन्ना कभी एमीबाई को देख नहीं पाए क्योंकि उनके लंदन से लौटने से पहले भी एमीबाई की मौत हो गयी थी।