Shiv Sena Symbol: चुनाव आयोग (EC) ने शिवसेना के दोनों गुटों को नाम और चुनाव चिन्ह आवंटित कर दिया है। सत्ताधारी एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के गुट को ‘दो तलवार और एक ढाल’ का चुनाव चिन्ह मिला है। वहीं उद्धव ठाकरे के गुट को ‘ज्वलंत मशाल’ (मशाल) दिया गया है।
पार्टी के नाम के लेकर भी दोनों गुटों में विवाद था, इसलिए चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) और ठाकरे गुट को ‘शिवसेना – उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम आवंटित किया है। साल 1966 में बनी शिवसेना का नाम और चिन्ह (तीर कमान) दोनों चुनाव आयोग ने फ्रीज कर लिया है।
ज्वलंत मशाल वाली पार्टी का हो गया था विलय
ज्वलंत मशाल पहले समता पार्टी का चुनाव चिन्ह हुआ करता था। पार्टी का गठन साल 1994 में जॉर्ज फर्नान्डिस ने किया था। साल 2003 में समता पार्टी का जनता दल (यू) में विलय हो गया था। तब फर्नांडिस ने कहा था कि जनता पार्टी से टूटकर अलग हुए धड़ों को साथ लाने की कोशिश की जा रही है।
हालांकि समता पार्टी के भीतर इस विलय को लेकर सहमति नहीं थी। पार्टी के नेता ब्रह्मानंद मंडल द्वारा चुनौती पेश करने के बाद EC ने विलय को रद्द कर दिया था।
विलय का निर्णय पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का था, इसलिए उन्होंने मंडल की चुनौती को भाव नहीं दिया। अगला चुनाव पार्टी के ज्यादातर नेताओं ने जनता दल (यू) के ‘तीर’ निशान पर लड़ा। इस तरह यह कहा जा सकता है कि पार्टी को बनाने वालों ने ही उसे अलग रूप दे दिया।
‘ज्वलंत मशाल’ उद्धव गुट को दिए जाने के बाद समता पार्टी के कथित नेता विरोध कर रहे हैं। लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने कहा है कि समता पार्टी की मान्यता 2004 में ही रद्द कर दी गई थी। ठाकरे गुट के अनुरोध के बाद ‘ज्वलंत मशाल’ को ‘मुक्त प्रतीक’ के रूप में सूचीबद्ध करने का निर्णय लिया गया था।
शिवसेना को पहले भी मिल चुका है ज्वलंत मशाल
बाल ठाकरे के वक्त शिवसेना ‘ज्वलंत मशाल’ और ‘दो तलवार और एक ढाल’ दोनों ही चिन्हों पर चुनाव लड़ चुकी है। शिवसेना को उसका चुनाव चिन्ह तीर-कमान मिलने में 23 साल का वक्त लग गया था। उससे पहले पार्टी ने अलग-अलग चिन्ह पर चुनाव लड़ा था। शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर ने एक मीडिया हाउस को बताया है कि साल 1968 में पार्टी के ज्यादातर उम्मीदवारों ने निकाय का चुनाव ‘तलवार और ढाल’ के निशान पर ही लड़ा था।
1985 में पार्टी ज्वलंत मशाल के सिंबल पर भी चुनाव लड़ चुकी है। उस चुनाव में छगन भुजबल ने मझगांव निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की थी। तब भुजबल शिवसेना नेता हुआ करते थे।
