केंद्र सरकार ने अपने कुछ चुनिंदा कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ देने का फैसला किया है। अंग्रेजी अखबार ‘द हिदू’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को चुनने का विकल्प दो शर्तों के साथ आया है।

पहला तो यह कि पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) के विकल्प का चयन केंद्र सरकार के वही कर्मचारी कर सकते हैं, जिन्होंने 22 दिसंबर, 2003 से पहले निकली नौकरियों के लिए आवेदन दिया था।

दूसरी शर्त नौकरी शुरू करने के समय को लेकर है। केंद्र सरकार के जिन कर्मचारियों ने 1 जनवरी, 2004 या इसके बाद नौकरी शुरू की थी, वह पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) का विकल्प चुन सकते हैं।

संबंधित कर्मचारी इस विकल्प का इस्तेमाल 31 अगस्त, 2023 तक कर सकते हैं। गौरतलब है कि 22 दिसंबर, 2003 को नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) की अधिसूचना जारी की गई थी और 2004 में एनपीएस स्कीम लागू हुई थी।

विपक्ष शासित राज्यों की OPS को लेकर घोषणा

केंद्री सरकार की घोषणा से बहुत पहले विपक्ष शासित कई राज्य ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की बात कह चुके हैं। कांग्रेस शासित राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की सरकारों ने ओपीएस लागू करने की घोषणा कर दी है।

राजस्थान: 10 फरवरी को बजट 2023-24 पेश करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि वह राज्य के कर्मचारियों को एनपीएस की बजाय ओपीएस का लाभ देंगे। सीएम गहलोत ने ओपीएस का दायरा बढ़ाने की भी घोषणा की है। बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा, निगम, बोर्ड, आयोग और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को भी ओपीएस का लाभ दिया जाएगा। बता दें कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पिछले साल ही राज्य में ओपीएस लागू कर दिया था।

छत्तीसगढ़: कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले साल जनवरी में नोटिफिकेशन जारी कर घोषणा की थी कि 1 अप्रैल, 2022 से ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लागू हो जाएगा। नोटिफिकेशन में कहा गया था कि 1 नवंबर, 2004 से 31 मार्च, 2022 के बीच नियुक्त सरकारी कर्मचारी एनपीएस या ओपीएस के विकल्प में से किसी एक को चुन सकेंगे।

झारखंड: JMM (झारखंड मुक्ति मोर्चा) शासित झारखंड की कैबिनेट ने एक सितंबर को पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का प्रस्ताव पारित कर दिया था। 21 सितंबर को राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को लेकर अधिसूचना जारी भी कर दी थी। झारखंड सरकार ने भी अपने कर्मचारियों को नई पेंशन योजना या पुरानी पेंशन योजना में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया था।

हिमाचल प्रदेश: राज्य की नव-निर्वाचित कांग्रेस सरकार ने एक अप्रैल से पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का फैसला किया है। शुक्रवार (3 मार्च) को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हिमाचल प्रदेश मंत्रीमंडल की बैठक हुई थी। बैठक में ओपीएस लागू करने की मंजूरी दी गई। कैबिनेट ने तय किया है कि कर्मचारियों को सामान्य भविष्य निधि के दायरे में लाया जाएगा।

OPS और NPS में अंतर

पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) को साल 2004 में केंद्र की तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने खत्म कर दिया था। तब सरकार न्यू पेंशन स्कीम (NPS) लेकर आयी थी।

पुरानी पेंशन व्यवस्था और नई पेंशन व्यवस्था के तहत पेंशन अलग-अलग तरह से तय होती है। पुरानी पेंशन व्यवस्था के तहत कर्मचारियों को रिटायर होने पर आखिरी माह मिली सैलरी का पचास प्रतिशत पेंशन को तौर पर दिया जाता है। यानी इस स्कीम के तहत पेंशन बैसिक सैलरी और महंगाई दर से तय होती है। सरकार इसका भुगतान अपने खजाने से करती है।

वहीं न्यू पेंशन स्कीम के तहत मामला बिलकुल अलग होता है। NPS के तहत पेंशन बेसिक सैलरी से तय नहीं होता। वह कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न पर तय होती है। पेंशन के तौर पर मूल वेतन और DA का 10 फीसदी और इतना ही योगदान राज्य सरकार की तरफ से मिलता है। NPS के तहत पेंशन का भुगतान बाजार के अनुसार होता है क्योंकि यह शेयर बाजार पर केंद्रित होता है।