1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) का गठन किया गया था। प्रधानमंत्री के सुरक्षा चक्र को मजबूत करने के उद्देश्य से 02 जून, 1988 को संसद में SPG Act-1988 पास किया गया था। अमेरिका के स्टेट सीक्रेट सर्विस एजेंट्स के स्तर का प्रशिक्षण और अत्याधुनिक हथियार एवं वाहन SPG को देश का सबसे एलीट सुरक्षा दस्ता बनाता है।

SPG का बजट

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद SPG का बजट खूब बढ़ा, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह कम हुआ है। वित्त वर्ष 2014-15 में SPG का बजट 289 करोड़ रुपये। 2015-16 में यह 330 करोड़ रुपये हो गया। तब यह सुरक्षा प्रधानमंत्री के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उनकी पत्नी गुरशरण कौर, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी, उनकी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी मिलता था।

बढ़ते साल के साथ SPG सुरक्षा पाने वालों संख्या कम होती गई लेकिन बजट बढ़ता गया। वित्त वर्ष 2016-17 में SPG का बजट बढ़ाकर 359.55 करोड़ रुपये कर दिया गया। 2017-18 में यह 389.25 करोड़ रुपये हो गया।

2018-19 में यह 385 करोड़ रुपये हो गया। 2019-20 में बजट को बढ़ाकर 540.16 करोड़ रुपये कर दिया गया। नवंबर 2019 में मोदी सरकार ने गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटा दी थी। इसके बाद से अब तक एसपीजी की सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के पास है।

2020-21 में बजट को फिर बढ़ाते हुए 592.55 करोड़ रुपये कर दिया गया। कोविड के बाद वित्त वर्ष 2021-22 में बजट को घटाकर 429.05 करोड़ रुपये किया गया। मौजूदा वित्त वर्ष में 2022-23 में SPG का बजट 385.95 करोड़ रुपये रखा गया है।  

2004 से निधन तक SPG सुरक्षा में रहे वाजपेयी

1989 में जब वी पी सिंह सत्ता में आए तो उन्होंने अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली थी। क्योंकि तब सिर्फ वर्तमान प्रधानमंत्री को ही SPG सुरक्षा दी जाती थी। 1991 में राजीव की हत्या के बाद यह सुरक्षा पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों को कम से कम 10 वर्षों के लिए दी जाने लगी। इसके लिए एसपीजी अधिनियम में संशोधन किया गया।

साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्रियों को मिलने वाली एसपीजी की सुरक्षा की अवधि 10 वर्ष से घटाकर एक वर्ष कर दी। खतरे की स्थिति में इसे एक साल और बढ़ाया जा सकता था। इसके लिए एसपीजी अधिनियम में एक बार फिर संशोधन किया गया। वाजपेयी शासन में एच डी देवगौड़ा, आई के गुजराल और पी वी नरसिम्हा राव जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गई थी।

लेकिन वाजपेयी खुद 2004 में पद छोड़ने के बाद भी निधन तक एसपीजी की सुरक्षा लेते रहें। उन्हें यूपीए और एनडीए दोनों ही सरकारों में एसपीजी सुरक्षा मिलती रही। मनमोहन सिंह का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनकी बेटियों ने एसपीजी सुरक्षा से इनकार कर दिया था।