हरियाणा के मेवात क्षेत्र का जो जिला नूंह सोमवार को सांप्रदायिक हिंंसा की आग में जल गया, वहां ऐसे दंगों का हालिया इतिहास नहीं रहा है। बीते चार-पांच सालों में वहां ऐसी कोई घटना पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। नूंह उत्तर भारत का वो जिला है जहां मुसलमानों की आबादी सबसे ज्यादा (करीब 80 फीसदी) है। यहां के ज्यादातर मुसलमान मेव समुदाय के हैं, जो इस्लाम धर्म मानते हुए भी हिंदुओं की कई रीति-रिवाज का पालन करते हैं।
इस इलाके के मुसलमान आजादी के वक्त (1947) में हुए कत्ल-ए-आम के बावजूद हिंदुस्तान छोड़ कर जाने के लिए राजी नहीं हुए। ताजा दंगों के बाद इस इलाके का इतिहास, सामाजिक ताना-बाना और पिछड़ापन भी चर्चा में आ गया है। इन बातों पर विस्तार से चर्चा से पहले जान लेते हैं, दंगों से जुड़ा ताजा अपडेट क्या है-
बुधवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि नूंह में सोमवार को हुई हिंसा के सिलसिले में कुल 116 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। घटना में दो होम गार्ड और चार नागरिकों सहित छह लोगों की मौत हो गई है। सीएम ने राज्य में शांति बनाए रखने की अपील भी की है।
बता दें कि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में एक जुलूस के दौरान नूंह में भड़की हिंसा पड़ोसी गुड़गांव तक फैल गई, जहां कुछ दुकानों और एक मस्जिद में आग लगा दी गई। साथ ही मस्जिद के इमाम की भी चाकू मारकर हत्या कर दी गई।
अब नूंह में 1,500 से अधिक केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवान और हरियाणा पुलिस की 30 कंपनियां तैनात की गई हैं। नूंह और आप पास के जिलों में इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है।
उत्तर भारत का सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला जिला है नूंह
2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, नूंह की आबादी में से 79.2 प्रतिशत मुसलमान हैं। नूंह, भारत का 14वां सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला जिला है। उत्तर भारत की बात करें तो यह इस क्षेत्र का एकमात्र मुस्लिम-बहुल जिला है।
पिछली जनगणना के समय जम्मू-कश्मीर एक राज्य हुआ करता था। अब केंद्र शासित प्रदेश है। लेकिन अगर हम पिछली जनगणना के आंकड़ों के आलोक में जम्मू कश्मीर को राज्य ही मानें और उसके 11 जिलों को हटा दें, तो नूंह भारत का तीसरा मुस्लिम-बहुल जिला बन जाएगा, पहले स्थान पर लक्षद्वीप और दूसरे स्थान पर असम का धुबरी जिला आएगा।
जिलेवार मुसलमानों की संख्या
जिला | प्रतिशत |
शोपियां (जम्मू-कश्मीर) | 98.5 |
कुलगाम (जम्मू-कश्मीर) | 98.5 |
अनंतनाग (जम्मू-कश्मीर) | 98.0 |
गांदरबल (जम्मू-कश्मीर) | 97.7 |
बडगाम (जम्मू-कश्मीर) | 97.7 |
बांदीपोरा (जम्मू-कश्मीर) | 97.4 |
लक्षद्वीप | 96.6 |
पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) | 95.5 |
श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) | 95.2 |
बारामूला (जम्मू-कश्मीर) | 95.2 |
कुपवाड़ा (जम्मू-कश्मीर) | 94.6 |
पुंछ (जम्मू-कश्मीर) | 90.4 |
धुबरी (असम) | 79.7 |
नूंह (पहले मेवात) | 79.2 |
कारगिल (लद्दाख) | 76.9 |
कई मामलों में NCR के जिलों में सबसे पिछड़ा है नूंह
2019-21 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के औसत संपत्ति स्कोर से पता चलता है कि एनसीआर क्षेत्र के 35 जिलों में नूंह दूसरा सबसे गरीब जिला है। इस सूची में सबसे गरीब जिला राजस्थान का भरतपुर है। आसपास के जिलों की तुलना में नूंह की गरीबी अधिक गंभीर दिखती है। पलवल, रेवाडी, फ़रीदाबाद और गुरूग्राम का एसेट स्कोर नूंह से क्रमश: 9.8 गुना, 15.2 गुना, 18.5 गुना और 19.3 गुना है।
नूंह की गरीबी अन्य सामाजिक-आर्थिक संकेतकों में भी झलकती है। 2019-21 एनएफएचएस के अनुसार, नूंह की 3.7% आबादी कच्चे या अस्थायी घरों में रहती है। केवल 19.8% आबादी के पास खाना पकाने के लिए एलपीजी, बिजली या बायोगैस का उपयोग खाना पकाने के लिए करते हैं। नूंह की 60.3% लोग या तो बोतलबंद पानी पीते हैं या ट्यूबवेल आदि का पानी पीते हैं।
एनसीआर के जिलों में भरतपुर के बाद नूंह ही वह जिला है, जहां सबसे ज्यादा लोग कच्चे घरों में रहते हैं। स्वच्छ ईंधन और बेहतर पेयजल स्रोत की हालत हमने जान ही ली। अन्य मानव विकास संकेतक भी जिले को एनसीआर के अधिकांश हिस्सों से पीछे दिखाते हैं। 2019-21 में इस जिले का कुल प्रजनन दर 3.9 था, जो सभी एनसीआर जिलों में सबसे अधिक है। इस सूची में 2.57 के टोटल फर्टिलिटी रेट के साथ बुलंदशहर दूसरे नंबर पर है।
नूंह जिले की 15 से 49 आयु वर्ग की 51% महिलाओं बताती हैं कि वह अशिक्षित हैं। इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर शामली है लेकिन उसकी स्थिति नूंह से बहुत बेहतर है। शामली की 33.5% महिलाओं ने माना की वे बिल्कुल भी शिक्षित नहीं हैं।
नूंह में साम्प्रदायिक दंगों का ताजा इतिहास नहीं
यह एक सार्वजनिक तथ्य है कि एनसीआर में जारी बहुत से अपराध और अपराधियों की उत्पत्ति नूंह से होती है, उनका सुरक्षित ठिकाना भी इसी जिले में है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि नूंह के अपराधी पिछले पांच वर्षों में एक बार भी सांप्रदायिक दंगे में नहीं फंसे हैं।
इस साल अप्रैल में ही हरियाणा पुलिस ने नूंह में साइबर क्राइम गिरोह का पर्दाफाश किया था। इस जिले की भौगोलिक परिस्थिति के कारण अपराधी आसानी से बच निकलते हैं। नूंह जिला हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से अपना बॉर्डर साझा करता है। ऐसे में पुलिस की छापेमारी होने पर अपराधी बगल के राज्य में जाकर बच जाते हैं।
लेकिन अप्रैल की छापेमारी में भारी पुलिस बल का इस्तेमाल किया गया था। 102 पुलिसकर्मियों ने 320 जगहों पर छापेमारी की थी। 126 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें से 65 को गिरफ्तार किया गया। इस छापेमारी के दौरान पुलिस को 166 फर्जी आधार कार्ड, 128 एटीएम कार्ड, 99 सिम कार्ड, 66 मोबाइल फोन मिले थे। 5 पीओएस मशीनें भी बरामद हुई थीं।
हालांकि NCRB की रिपोर्ट 2017 से 2021 (2021 नवीनतम है जिसके लिए डेटा उपलब्ध है) से पता चलता है कि नूंह (पहले मेवात, बाद में जिले का नाम बदल दिया गया) में दंगों की सैकड़ों घटनाएं हुईं। लेकिन उनमें से एक को भी सांप्रदायिक दंगों की कैटेगरी में नहीं रखा गया। सोमवार का दंगा जिले के हाल के इतिहास की पहली घटना है।
नूंह में दंगों की घटना (2017-21)
घटना | संख्या |
आपसी रंजिश या दुश्मनी | 585 |
भूमि/संपत्ति विवाद | 524 |
पारिवारिक विवाद | 376 |
अन्य दंगा | 44 |
पानी को लेकर विवाद | 7 |
सांप्रदायिक दंगा | 0 |
जातीय संघर्ष | 0 |
राजनीतिक दंगा | 0 |
विद्यार्थियों के बीच दंगा | 0 |
बिजली आपूर्ति को लेकर विवाद | 0 |
आंदोलन या मोर्चा के दौरान दंगा | 0 |
पुलिस पर हमला | 0 |
नूंह से लेकर गुरुग्राम तक कैसे फैली हिंसा?
सोमवार को हिंदुओं के एक समूह ने बृजमंडल जलाभिषेक यात्रा निकाली। यात्रा से पहले (29 जुलाई को) स्वघोषित गौरक्षक मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर एक वीडियो लगाया। जुनैद और नासिर की हत्या के आरोपी मोनू वीडियो में कहा कि “मैं खुद यात्रा में रहूंगा और मेरी पूरी टीम भी मौजूद रहेगी।”
मोनू के वीडियो से पहले 27 जुलाई को नूंह पुलिस और जिला अधिकारियों ने विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधियों और क्षेत्र के निवासियों के साथ एक बैठक की थी। इस बैठक में यात्रा को शांतिपूर्ण तरीके से निकाले जाने पर सहमति बनी थी।
द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि मोनू का वीडियो पोस्ट होते ही इलाके का माहौल बदल गया। हालांकि मोनू यात्रा में नहीं आया। लेकिन नूंह में यात्रा पर कथित हमले के बाद हिंसा भड़क गई और आस-पास के इलाकों में फैल गई। पुलिस ने दक्षिणपंथी जय भारत माता वाहिनी के प्रमुख दिनेश भारती पर कथित तौर पर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के आरोप में मामला दर्ज किया है।
कौन है मोनू मानेसर?
हरियाणा के मानेसर का रहने वाला 28 वर्षीय मोनू एक पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा धारक है जो खुद को ‘गौरक्षक’ और सामाजिक कार्यकर्ता बताता है। वह 2011 में मानेसर से जिला सह-संयोजक के रूप में बजरंग दल में शामिल हुए। मोनू, मानेसर क्षेत्र में मजदूरों को रेंट पर कमरा देकर, उसके पैसों से अपना जीवन यापन करता है।
इसी वर्ष फरवरी में मोनू मानेसर ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा था, “मैं गायों के आसपास बड़ा हुआ हूं। गौ माता से मेरी आस्था जुड़ी है। गायों की रक्षा करना मेरा धर्म है। गायों के खिलाफ अत्याचार देखने के बाद, मैंने उन्हें बचाने और अवैध पशु तस्करी को रोकने की कसम खाई। मेवात [नूंह] और आसपास के जिलों में बड़े पैमाने गायों की तस्करी होती है।”
मोनू जिले के गौ रक्षा बल के प्रमुख और मानेसर में जिला प्रशासन की नागरिक सुरक्षा टीम का सदस्य भी हैं। इसके अलावा, वह एक यूट्यूब पेज ‘मोनू मानेसर बजरंग दल’ भी चलाता है, जिसके दो लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं। मोनू को यूट्यूब से एक सिल्वर प्ले बटन भी मिला है, जो 100,000 से अधिक सब्सक्राइबर हासिल करने पर क्रिएटर्स को दिया जाता है। मोनू और उसके गौरक्षकों की टीम अक्सर यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर संदिग्ध पशु तस्करों का पीछा करने के वीडियो पोस्ट करती है। वे हिरासत में लिए गए संदिग्धों और “बचाए गए” मवेशियों की तस्वीरें भी पोस्ट करते हैं।
पिछले साल मोनू ने मानेसर के एक मंदिर पंचायत भी आयोजित कर क्षेत्र के “मुस्लिम दुकानदारों का आर्थिक बहिष्कार” करने का आह्वान किया था।