आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को निलंबित कर दिया गया है। अब सिंह मानसून सत्र के मौजूदा सप्ताह की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकेंगे। गुजरात में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों के मामला उठाने के दौरान सिंह ने पेपर फाड़कर स्पीकर की चेयर की ओर उछाला था, जिसके बाद यह एक्शन हुआ है।
मंगलवार को राज्यसभा के 19 सांसदों को सदन से एक हफ्ते के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। उससे पहले सोमवार को लोकसभा से कांग्रेस के चार सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था।
जब एक साथ 63 सांसद हुए थे निलंबित
भारत के संसदीय इतिहास में लोकसभा में सबसे बड़ा निलंबन राजीव गांधी की सरकार में हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस ठक्कर (Rtrd. Justice Thakkar) की अध्यक्षता में एक आयोग बना था। साल 1989 में इसी ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में पेश किया जा रहा था, लेकिन विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा था। तब लोकसभा अध्यक्ष ने एक साथ 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था। चार अन्य सांसद खुद ही सदन से बाहर हो गए थे।
क्या सांसद का सस्पेंड होना आम बात है?
संसद के भीतर सांसद का सस्पेंड होना गंभीर कार्रवाई है लेकिन असामान्य नहीं है। हाल के वर्षों में निलंबन अधिक सामान्य हो गए हैं और 2019 के बाद से हर साल हुआ है। पिछले साल नवंबर में विपक्ष के 12 राज्यसभा सांसदों को शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन सस्पेंड कर दिया गया था। सितंबर 2020 में राज्यसभा के 8 सांसदों को निलंबित किया गया था।
मार्च 2020 में बजट सेशन के दौरान कांग्रेस के सात लोकसभा सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। नवंबर 2019 में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कांग्रेस के दो सदस्यों को निलंबित कर दिया था। जनवरी 2019 में TDP और AIADMK के 45 सांसदों को ओम बिरला ने सस्पेंड कर दिया था।
कैसे होती है सस्पेंड सांसदों की वापसी?
राज्यसभा और लोकसभा के स्पीकर जिस तरह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सांसदों को निलंबित कर सकते हैं। उसी तरह उनके निलंबन को रद्द भी कर सकते हैं। इसके अलावा सदन में प्रस्ताव लाकर भी सांसदों का निलंबन खत्म किया जा सकता है। सांसदों को निलंबन के दौरान का भी वेतन मिलता है। यानी निलंबन का उनकी सैलरी पर कोई असर नहीं पड़ता।
बता दें कि राज्यसभा के सभापति रुलबुक के नियम 255 और 256 के तहत सांसदों को निलंबित कर सकते हैं। वहीं लोकसभा अध्यक्ष रुलबुक के नियम 373 और 374 के तहत सांसदों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई कर सकते हैं।
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