अमृता नायक दत्ता

भारतीय सेना (Indian Army) ने अपने प्रशिक्षण संस्थानों (Training Institutions) में विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले दिग्गजों को कॉन्ट्रैक्ट पर रखने का प्लान बनाया है। यह क्रॉस-स्किलिंग टेक्निकल ट्रेड (Cross-skilling Technical Trades) और स्टेटिक यूनिट्स में सर्विसेज की आउटसोर्सिंग (Outsourcing) की योजना है। इंडियन एक्सप्रेस (Indian Express) से बात करते हुए एक रक्षा अधिकारी (Defence Official) ने बताया कि “इस योजना को अगले पांच वर्षों में कई चरणों में लागू किया जाएगा। इसका मकसद सेना की बेसिक समस्याओं को कम करना है।”

अधिकारी के मुताबिक इस सुधार पर काम चल रहा है। सेना की सभी ईकाइयों से योजना का विवरण तैयार करने और उसे सबमिट करने को कहा गया है। अभी भारतीय सेना में 12.8 लाख जवान हैं। यह संख्या कम है। कोरोना महामारी के कारण पिछले दो साल से भर्ती नहीं हुई है। फिलहाल सेना में 1.25 लाख बलों की कमी है।

हालांकि पिछले साल सरकार की अग्निपथ योजना के तहत 40,000 रिक्तियां को भरने के लिए भर्ती निकाली गई थी। लेकिन इससे सालाना 60,000 रिटायर वाले सैनिकों की पूर्ती करना मुश्किल होगा।

IMA में भी कॉन्ट्रैक्ट पर रखे जाएंगे एक्सपर्ट्स

एक अन्य वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि कॉन्ट्रैक्ट बेस पर ग्रेड-ए ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स में उन दिग्गजों को नियुक्त करने की योजना है, जो सैन्य विषयों में विशेषज्ञता रखते हैं।

ग्रेड-ए ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स में देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (Indian Military Academy), आर्मी वॉर कॉलेज और इन्फैंट्री स्कूल इन महू शामिल हैं। ग्रेड-बी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स में विभिन्न रेजिमेंटल सेंटर्स शामिल हैं। इस बात की पर चर्चा की जा रही है कि क्या नेशनल कैडेट कोर (NCC) का प्रशिक्षण पूर्व सैनिकों को अनुबंध के आधार पर सौंपा जा सकता है।

केटरिंग और फैसिलिटी मैनेजमेंट को भी एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस को आउटसोर्स करने की योजना है। वर्तमान में इन कामों को सेना में कार्यरत ट्रेडमैन द्वारा किया जाता है। कुल मिलाकर सरकार सेना में स्थायी नौकरियों को कम करने की कोशिश में है।

एक वरिष्ठ रक्षा अधिकारी ने बताया है कि हथियारों के ऑटोमेशन पर जोर देने से बंदूकों और टैंकों को चलाने वाले कर्मियों की आवश्यकता कम हो सकती है। इससे आर्टिलरी और बख्तरबंद कोर के रेजिमेंट में मैनपावर को कम किया जा सकेगा।

अधिकारी ने कहा कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सैटेलाइट की बढ़ती संख्या के साथ सर्विलांस का काम आसान हो जाएगा और मैनपावर पर निर्भरता कम होगी।