हमास (Hamas) के पूर्व चीफ खालिद मशाल (Khaled Mashal) ने शुक्रवार (27 अक्टूबर) को केरल (Kerala) के मलप्पुरम में फिलिस्तीन समर्थक रैली (Pro-Palestine Rally) को ऑनलाइन संबोधित किया। मशाल ने अपने संबोधन में गाजा के लिए एकता दिखाने की बात कही। रैली का आयोजन जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) के यूथ विंग ‘सॉलिडैरिटी यूथ मूवमेंट’ (Solidarity Youth Movement) ने किया था।

इस रैली के बाद भारत में राजनीतिक बयानबाजी देखने को मिल रहा है। बता दें कि एक बार टाइम मैगज़ीन ने खालिद मशाल के लिए लिखा था “द मैन हू हॉन्ट्स इज़रायल” यानी वह आदमी जो इजरायल को डराता है। वर्तमान में मशाल कतर में स्थित हैं।

खालिद मशाल कौन हैं?

खालिद मशाल का जन्म 1956 में वेस्ट बैंक के शहर सिलवाड में हुआ था। मशाल के परिवार को 1967 के इजरायल-अरब युद्ध के बाद अपना घर छोड़ना पड़ा। बता दें कि उस युद्ध में इजरायल ने जीत हासिल कर वेस्ट बैंक पर कब्जा कर लिया था।

इसके बाद मशाल की हमास में सक्रियता देखी गई। हमास हथियारबंद संघर्ष करने वाला एक संगठन है, जो फिलिस्तीन की आजादी के लिए लड़ता है। मशाल ने 1996 से 2017 तक हमास के पोलित ब्यूरो का या कहां कि हमास में मुख्य निर्णय लेने वाले डिपार्टमेंट का नेतृत्व किया।

साल 2017 में अल जज़ीरा को दिए एक इंटरव्यू में मशाल ने कहा था, “मैं संगठन (हमास) के संस्थापकों में से एक हूं। मैं पहले दिन से ही वहां था। 1987 में हमास के आधिकारिक रूप से घोषित होने से पहले ही मैं इसकी स्थापना और लॉन्च का हिस्सा था… यही वजह है कि, मैं पहले दिन से ही इसकी सलाहकार परिषद और नेतृत्व संरचनाओं का सदस्य था।” वर्तमान में मशाल कतर स्थित हमास के ‘बाहरी’ पोलित ब्यूरो के प्रमुख हैं।

मशाल 1967 से 1990 के बीच कुवैत में भी रहे और कुवैत विश्वविद्यालय में फिलिस्तीनी इस्लामी आंदोलन का नेतृत्व किया। 1990 में खाड़ी युद्ध की शुरुआत के बाद हुई तो मशाल जॉर्डन चले गए। वह सीरिया और इराक में भी रह चुके हैं।

इजरायल कर चुका है हत्या का प्रयास

सितंबर 1997 में जॉर्डन की राजधानी अम्मान में रहने के दौरान इजरायल ने मशाल को मारने की कोशिश की। प्रयास असफल रहा। मशाल की हत्या आदेश खुद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दिया था, जो उस समय अपना पहला कार्यकाल पूरा कर रहे थे।

टाइम मैगज़ीन के एक लेख के अनुसार, इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के दो एजेंट उनके कार्यालय के बाहर इंतजार कर रहे थे। जैसे ही मशाल पास आए, एक ने उनके कान में पेनकीलर फेंटेनाइल छिड़क दिया। यह जानलेवा होता है। यह मॉर्फिन से सौ गुना अधिक पावरफुल होता है।

इजरायलियों को पूरी उम्मीद थी कि उनके इस हमले से मशाल की जान चली जाएगी। एजेंट अपने काम को अंजाम देकर वहां से भाग गए। मशाल को अस्पताल ले जाया गया। इस घटना की खबर मिलते ही जॉर्डन के राजा हुसैन ने “आधी रात तक” इजरायल के साथ सभी संबंध खत्म करने की धमकी दी।

नेतन्याहू ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के मुख्य वार्ताकार ( मिडिल ईस्ट में) डेनिस रॉस को सुबह-सुबह किया। उन्हें संकट के अवगत कराया। नेतन्याहू ने कहा कि वह तत्काल क्लिंटन से बात करना चाहते हैं। रॉस इजरायल की ‘लापरवाही’ से हैरान थे।

रॉस के संस्मरण के अनुसार, उन्होंने नेतन्याहू से पूछा कि आप क्या करना चाह रहे रहे थे? जवाब में नेतन्याहू ने बताया वह जानकर रॉस अवाक रह गए।

क्लिंटन जॉर्डन-इजरायल के बीच आए तनाव को शांत करने के लिए मध्यस्थता कर रहे थे। मशाल की रिकवरी के लिए नेतन्याहू को जॉर्डन के डॉक्टरों को एक एंटीडोट फॉर्मूला देना पड़ा। टाइम की रिपोर्ट में कहा गया है, “उन्होंने राजा के भाई से भी व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी।”

1997 के न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में उद्धृत वार्ताकारों के अनुसार, “जॉर्डन अंततः आठ मोसाद एजेंटों की रिहाई पर चर्चा करने के लिए सहमत हुआ, जो हमले को अंजाम देने के लिए इजरायल से आए थे। उधर इजरायल को हमास के संस्थापक और आध्यात्मिक नेता शेख अहमद यासीन रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।”

अमेरिकी दबाव में नेतन्याहू को अन्य हमास कैदियों को भी रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि जॉर्डन के राजा “संबंधों को पूरी तरह से तोड़ने, इजरायली दूतावास को बंद करने और दो इजरायली एजेंटों के खिलाफ सैन्य अदालत में सार्वजनिक मुकदमा चलाने की धमकी दे रहे थे।”

केरल की रैली में मशाल ने क्या कहा?

खालिद मशाल ने फिलिस्तीन के बारे में बात करते हुए कहा, “एक साथ मिलकर हम जियोनिस्ट को हराएंगे। हम गाजा के लिए एकजुट होंगे, जो अल अक्सा (मस्जिद) के लिए लड़ रहा है। इजराइल हमारे नागरिकों से बदला ले रहा है। मकान तोड़े जा रहे हैं। उन्होंने गाजा के आधे से ज्यादा हिस्से को तबाह कर दिया है। वे चर्चों, मंदिरों, विश्वविद्यालयों और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र संस्थानों को भी नष्ट कर रहे हैं…” वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने “हमास चरमपंथियों” की भागीदारी पर आपत्ति जताते हुए रैली की आलोचना की।

फिलिस्तीन के बारे में जानने के लिए पढ़ें- फिलिस्तीनी होने के मतलब मुसलमान होना नहीं, समृद्ध इतिहास से हो रहा खिलवाड़, जानिए किसे है फिलिस्तीनी कहलाने का हक

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अपने बच्चे के साथ एक फिलिस्तीनी मां-1920 (Photo via Wikimedia Commons)

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