गुजरात चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी दल खुद को प्रचार में झोंक चुके हैं। इस बीच खबर आ रही है कि गुजरात के विवादित पूर्व आईजी डी.जी. बंजारा ने अपनी राजनीतिक पार्टी लॉन्च की है। वंजारा ने अपनी पार्टी का नाम प्रजा विजय पक्ष रखा है। उन्होंने गुजरात की सभी 182 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है।

वंजारा के राजनीतिक दल की विचारधारा धुर हिंदू दक्षिणपंथी है। उन्होंने खुद कहा है, ”हिंदुत्व से कम कोई भी पार्टी गुजरात की सत्ता में भाजपा की जगह नहीं ले सकती, क्योंकि गुजरात हिंदुत्व की लेबोरेटरी है। प्रजा विजय पक्ष ही केवल ऐसी पार्टी है जो इसकी क्षमता रखती है। राजसत्ता को अहमियत देने वाली भाजपा के मुकाबले हिंदुत्व के मामले में देने के लिए हमारे पास ज्यादा है। पीवीपी राजसत्ता को धर्मसत्ता के साथ मिलाएगी।”

वंजारा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल के पिन ट्वीट में लिखा है, ”जिन्ना ने कहा कि मैं मुस्लिम पहले भारतीय आखिर में हूं, नेहरू ने कहा कि मैं भारतीय पहले और हिंदू अंत में हूं, बाबा साहेब अम्बेडकर ने कहा कि मैं सबसे पहले और आखिर में भारतीय हूं। लेकिन मैं कहता हूं कि मैं पहले हिंदू हूं और आखिरी में भी हिंदू ही हूं। हिंदू धर्म का अर्थ है मानवतावाद, सभी भारतीय कहें कि हमें हिंदू होने पर गर्व है। #हिंदुओं_से_हिंदुस्तान”

कौन हैं डी.जी. वंजारा?

डी जी वंजारा का पूरा नाम दह्याजी गोबरजी वंजारा है। वह 1987 बैच के गुजरात काडर के IPS अधिकारी हैं। 2002 से 2005 तक अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस रहते हुए वंजारा एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के तौर पर मशहूर हुए। उनके इस कार्यकाल के दौरान करीब 20 लोगों एनकाउंटर हुआ। तब वंजारा के गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी होने की चर्चा आम थी।

मेरे बड़े मित्र और मार्गदर्शक देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी जी को उनके 72वें जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं। शतम जीवा: शरद: बरसों पहले हमने भारत माता को सभी शक्ति और सर्वोच्च महिमा में लाने का सपना देखा था। जो काम आप अच्छा कर रहे हैं।

वंजारा और एनकाउंटर

2002 की शुरुआत में वंजारा ने कई ‘एंकाउंटर्स’ को यह कहते हुए अंजाम दिया कि मारे गए सभी ‘मोदी को मारने के लिए आए आतंकवादी’ थे। जून 2004 में 19 साल की छात्रा इशरत जहां के साथ तीन अन्य को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में गोली मार दी गई थी। पुलिस ने इशरत को लश्कर ए तैयबा का आतंकवादी बताया। वहीं इशरत की मान ने पुलिस को कार्रवाई को फेक एनकाउंटर बताया।

साल 2005 में जब वंजारा गुजरात के आतंकवाद विरोधी दस्ते के प्रमुख थे, सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी को नवंबर 2005 में एटीएस टीम बस से उतार कर अहमदाबाद के पास स्थित एक फार्महाउस में ले गयी थी वहीं उन्हें बंधक बना बनाकर रखा गया।

कुछ दिनों बाद सोहराबुद्दीन का कथित तौर पर एक राजमार्ग पर एनकाउंटर कर दिया गया। कौसरबी लापता हो गयीं। कथित एनकाउंटर के बाद वंजारा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मारा गया व्यक्ति लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी था और मोदी की हत्या की साजिश रच रहा था।

अगले साल दिसंबर 2006 में तुलसी प्रजापति एक कथित पुलिस एनकाउंटर में मारा गया। प्रजापति सोहराबुद्दीन का कथित साथी और एक पुलिस मुखबिर था। प्रजापति सोहराबुद्दीन मामले में गवाह था। उसका कथित एनकाउंटर गुजरात के जिस बनासकांठा जिले में हुआ, उस क्षेत्र की कमान कुछ दिन पहले ही वंजारा ने संभाली थी। वंजारा तबादले के जरिए वहां बॉर्डर रेंज आईजी बनाकर पहुंचे थे।

वंजारा की गिरफ्तारी

वंजारा को अप्रैल 2007 में गुजरात सीआईडी ने सोहराबुद्दीन शेख मामले में गिरफ्तार किया। सीआईडी ने कोर्ट से नार्को-टेस्ट की अनुमति मांगी। वंजारा के वकील ने इसके खिलाफ दलील देते हुए कहा कि वंजारा को दिल की बीमारी है और टेस्ट के लिए इस्तेमाल होने वाला रसायन उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाएगा।

सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले सुनवाई के दौरान नवंबर 2018 में एक गवाह ने निचली अदालत को बताया था कि सोहराबुद्दीन ने डी.जी. वंजारा के कहने पर गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पंड्या की हुई थी हत्या। केशुभाई पटेल और नरेंद्र मोदी के राजनीतिक भिड़ंत के वक्त पंड्या एंटी नरेंद्रभाई लॉबी का सबसे बड़ा चेहरा थे।

वंजारा की गिरफ्तारी के बाद कई कथित एनकाउंटर पर सवाल उठे। 2002 में अहमदाबाद के उस्मानपुरा में मारे गए समीर और 2003 में भावनगर में मारे गए सादिक जमाल के माता-पिता का कहना था कि उनके बच्चे को फेक एनकाउंटर में मारा गया। इन सभी कथित एनकाउंटर्स में वंजारा का नाम शामिल था।

वंजारा का इस्तीफा

सितंबर 2013 में जेल से 10 पन्ने का पत्र लिखकर पुलिस सेवा से इस्‍तीफा देने का ऐलान किया था। वंजारा ने अपने पत्र में मोदी को भगवान बताया था। वहीं सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति हत्या के मामलों में आरोपी गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह पर गंभीर आरोप लगाया था।

वंजारा ने लिखा था, ”मैं ये बताना चाहता हूं कि मैंने इतने लंबे वक्त तक सिर्फ इसलिए चुप्पी साधे रखी क्योंकि मैं नरेंद्र मोदी को भगवान मानता था। लेकिन अमित शाह के बुरे असर में उन्होंने भगवान की तरह मेरी कोई मदद नहीं की। अमित शाह ने मोदी की आंख और कान पर कब्जा कर लिया है। पिछले 12 साल सालों से अमित शाह बकरी को कुत्ता और कुत्‍ते को बकरी बता कर मोदी को गुमगाह कर रहे हैं। एक तरीके से अमित शाह गुजरात की सरकार चला रहे हैं और इस आपराधिक लापरवाही की वजह से मोदी की सरकार बेदखल हो जाएगी।”

हालांकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने वंजारा का इस्तीफा नामंजूर कर दिया था। वंजारा 31 मई 2014 को जेल से ही रिटायर हुए थे। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वंजारा फरवरी 2015 में जमानत पर जेल से बाहर आए थे। हालांकि तब उन्हें गुजरात में जाने की इजाजत नहीं थी। अप्रैल 2016 में वह करीब 9 साल बाद गुजरात पहुंचे थे। फरवरी 2020 में गुजरात सरकार ने वंजारा को रिटायरमेंट के 6 साल बाद बैक डेट से आईजी पर पर प्रमोशन दिया था।