स्मार्टफोन और इलेक्ट्रिक व्हीकल के बैटरी फटने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। कई मामलों में लोगों की जान तक चली जा रही है। हाल में यूपी के बरेली में मोबाइल फोन की बैटरी फटने से एक आठ साल की बच्ची की मौत हो गई। इससे पहले अप्रैल में झरखंड में एक बच्चा बैटरी के फटने से मर गया था। मार्च 2022 में मोबाइल की बैटरी फटने से मध्य प्रदेश का एक बच्चा बुरी तरह घायल हो गया था।

कुछ इसी तरह के मामले इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर भी सामने आए हैं। अभी कुछ वक्त पहले चार्जिंग के दौरान इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी फटने से बाप-बेटी की मौत हो गई थी। दिसंबर 2021 में 60 वर्षीय सुरेश साहू की भी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की बैटरी फटने से मौत हो गई थी। मामला गुरुग्राम के सैक्टर 45 का था। सवाल उठता है कि आखिर क्यों इलेक्ट्रिक व्हीकल और फोन की बैटरी लोगों की जान ले रही है?

मोबाइल की बैटरी फटने की वजह?

मोबाइल फोन की बैटरी फटने के कई कारण हो सकते हैं। दरअसल बैटरी कई सारे सेल्स को जोड़कर बनती है। जब मोबाइल पुराना होता है तो बैटरी के सेल्स के बीच के गैप को मेनटेन रखने वाला लेयर टूट जाता है। इससे बैटरी में शॉर्ट सर्किट की आशंका बढ़ती है। और जब शॉर्ट सर्किट होता है बैटरी फट जाती है।

एक कारण मोबाइल का गिरना है और बैटरी का लीक होना है। अगर कभी मोबाइल गिरता है, तो बैटरी में लीकेज की आशंका होती है। ऐसे में अगर फोन को चार्ज में लगाया जाता है बैटरी फट जाती है। कुल मिलाकर मोबाइल फोन की बैटरी हीट की वजह से फटती है। इसलिए फोन को रात भर चार्ज में लगाकर छोड़ने या चार्जिंग में लगाकर यूज करने से बचना चाहिए।

इलेक्ट्रिक व्हीकल में घमाके की वजह?

आग लगने के लिए गर्मी, ऑक्सीजन और ईंधन के त्रिकोण का मिलन जरूरी होता है। बैटरी में आग भी इन्हीं तीनों के मिलने से लगती है। ज्यादातर इलेक्ट्रिक व्हीकल में लिथियम-आयन (Li-ion) बैटरी का इस्तेमाल होता है। यह कई सेल से मिलकर बना होता है। अन्य बैटरी की तरह इसमें भी दो दो प्रकार के इलेक्ट्रोड होते हैं। पहले छोर पर एनोड होता है, दूसरे छोर पर कैथोड होता है। दोनों में अलग-अलग एलिमेंट से बने होते हैं लेकिन दोनों के ही भीतर लिथियम होता है।

अगर बैटरी को बनाने में कोई मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट होता है या बैटरी किसी कारण से डैमेज हो जाता है, तो आग लगने की आशंका बनती है। मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट या डैमेज होने के कारण सेल ज्यादा हीट पैदा करते हैं। एक सेल से पैदा हुई हीट दूसरी सेल में पहुंचती है। यह प्रक्रिया लगातार होती है, जिसे थर्मल रनवे कहा जाता है। सेल्स के बीच हीट का चेन जब लम्बे समय तक चलता है, तो वही आग का रूप ले लेता है।