समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अगुवाई वाली संविधान पीठ सुनवाई कर रही है। 29 अप्रैल को तीसरे दिन भी सुनवाई जारी रही। सुप्रीम कोर्ट अभी एक-एक कर याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुन रहा है। उच्चतम न्यायालय में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाली कुल 20 याचिकाएं हैं। बृहस्पतिवार को एक याचिकाकर्ता जैनब पटेल की तरफ से सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन पेश हुए।
क्या है जैनब पटेल की मांग?
एडवोकेट विश्वनाथन ने कहा कि हमारी मांग है कि अगर हम किसी का बेटा, बेटी, भाई, बहन, अंकल, आंटी या दोस्त हो सकते हैं तो शादीशुदा जीवनसाथी क्यों नहीं हो सकते? उन्होंने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट को बचाने के लिए समानता के सिद्धांत को अपनाया जा सकता है। सिक्किम ओल्ड सेटलर्स एसोसिएशन इसका उदाहरण है। जहां तक उम्र की बात है, तो थर्ड जेंडर के लिए डिफॉल्ट उम्र 18 साल रखी जा सकती है। यदि हमारे मौलिक अधिकारों को मान्यता मिलती है, तो राज्यों को इसके अनुपालन में कानून बनाने होंगे।
क्या विवाह की मान्यता के लिए संतानोत्पत्ति अनिवार्य है?
एडवोकेट विश्वनाथन ने कहा कि एक पक्ष दलील देता है कि आपकी प्रकृति ऐसी है कि संतान पैदा नहीं कर सकते हैं। क्या विवाह की मान्यता देने के लिए संतानोत्पत्ति एक वैध कारण है? आज भी ऐसे लोग जो प्रजनन क्षमता की उम्र पार कर चुके हैं, 45 वर्ष से ज्यादा आयु की महिलाएं जो बच्चे पैदा करने के लिए मेडिकली अनफिट हैं, उन्हें भी शादी की अनुमति है। ऐसे हेट्रोसेक्सुअल (Heterosexual) जिन्होंने बच्चे नहीं पैदा करने का फैसला लिया है, उन्हें भी शादी का अधिकार है।
सीनियर एडवोकेट विश्वनाथन ने कहा कि सेंट्रल एडॉप्शन रेगुलेशन अथॉरिटी (CARA) किसी एक सदस्य को बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं देता है, जब तक कि वह शादीशुदा ना हों।
बाप शराब पीकर मां को पीटे तो बच्चे पर क्या असर होगा?
इस दलील पर जस्टिस चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने सवाल किया, ‘मान लीजिए कि कोई हेट्रोसेक्सुअल कपल है और उनके घर में घरेलू हिंसा होती है तो उस स्थिति में बच्चे का क्या होगा? बच्चे पर क्या प्रभाव पड़ेगा? हेट्रोसेक्सुअल के साथ तमाम चीजें हैं…लेकिन तब क्या होगा जब पिता शराब पीकर आए और मां की पिटाई करे? शराब के लिए पैसे मांगे? कुछ भी निश्चित नहीं है…’।
इस पर एडवोकट विश्वनाथन ने कहा, गे, लेस्बियन और LGBTQIA लोग, हेट्रोसेक्सुअल कपल के मुकाबले बच्चे पालने में कहीं ज्यादा बेहतर हैं।
सीजेआई ने क्यों किया चीन का जिक्र?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसी क्रम में चीन का भी उदाहरण दिया। कहा कि चीन जैसी बड़ी जनसंख्या वाले देशों में डेमोग्राफिक डिवाइड देखने को मिल रहा है। पुरानी पीढ़ी के लोग ज्यादा बच्चे नहीं चाहते हैं…आप अपने करीबियों से ही पूछ लीजिए। जो लोग आपके साथ काम करते हैं, उनसे बात करिए… आप देखेंगे कि ज्यादातर लोग सिर्फ एक बच्चा चाहते हैं।
सीजेआई ने आगे कहा- मेरे ड्राइवर की भी एक ही बेटी है… एक और महत्वपूर्ण बात है कि पहले जो लोग बेटा चाहते थे, यह धारणा भी बदल रही है। लोग शिक्षित हो गए हैं।