भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को मेंस्ट्रुअल हाइजीन (Menstrual Hygiene) से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने केंद्र और राज्यों की सरकार से 6 से 12 क्लास तक की लड़कियों को मुफ्त में सैनिटरी पैड मुहैया कराने की मांग की है।  

जस्टिस चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुईं  ASG ऐश्वर्या भाटी से पूछा, क्या भारत सरकार पूरे देश के लिए एक SOP तैयार नहीं कर सकता। एक बार डेटा आ जाने के बाद, आपके पास कुछ राष्ट्रीय मॉडल हो सकते हैं। फिर राज्य राज्य उन्हें अपनी जरूरत के अनुसार संशोधित कर लेंगे।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, याचिकाकर्ता, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, उन्होंने जनहित में एक याचिका दायर की है, जिसमें उत्तरदाताओं- भारत संघ, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता की मांग है कि कक्षा 6-12 की बालिकाओं को सेनेटरी पैड दिया जाए और सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था की जाए।

केंद्र और राज्यों का जवाब

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों की मासिक धर्म स्वच्छता की आवश्यकता पर सार्वजनिक हित के एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उठाया है। केंद्र सरकार के साथ-साथ कुछ राज्यों द्वारा भी जवाबी हलफनामा दायर किया गया है। संघ की तरफ से दाखिल हलफनामा बताता है कि उसके तीन मंत्रालय, अर्थात् मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, जल शक्ति और शिक्षा मंत्रालय ऐसे मामलों को देखते हैं।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने क्या कहा?

याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय नीति बनाई जाए ताकि राज्य अपनी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर उनमें बदलाव कर सकें। राज्यों को 4 सप्ताह की अवधि के भीतर केंद्र सरकार को अपनी मेंस्ट्रुअल हाइजीन पॉलिसी भेजनी है।।

चंद्रचूड़ ने आगे कहा, “हम सभी मंत्रालयों और राज्यों के संचार की सुविधा के लिए MoHFW के सचिव को नोडल अधिकारी के रूप में नामित कर रहे हैं। राज्य और केंद्रशासित प्रदेश भी स्कूलों में लड़कियों के अनुपात का आंकड़ा देंगे। सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश कम लागत वाले सैनिटरी नैपकिन और सिक्योर डिस्पोजल मैकेनिज्म सुनिश्चित करेंगे। क्या-क्या अपडेट हुआ इसकी रिपोर्ट तीन महीने बाद केंद्र सरकार रिकॉर्ड पर रखेगी।

अभी से सैनिटरी पैड को लेकर क्या है स्थिति?

राजस्थान भारत का पहला और इकलौता राज्य है, जहां महिलाओं के लिए सैनिटरी पैड फ्री है। राजस्थान सरकार ने उड़ान योजना के तहत फ्री पैड देने की शुरूआत मई 2022 में की थी।

इस साल फरवरी में दो भारतीय गांवों में भी मुफ्त सैनिटरी नैपकिन की शुरूआत हुई। दोनों ही गांव एक ही राज्य – केरल से हैं। पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने नॉन-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन कचरे से राज्य को छुटकारा दिलाने के लिए एक मिशन शुरू किया है। राज्य सरकार ने इसके लिए 10 करोड़ रुपये भी आवंटित किया था। वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने 3 फरवरी को दिए बजट भाषण में कहा था, “स्कूलों, कॉलेजों और कार्यस्थलों में सरकारी स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम और अभियान चलाए जाएंगे। इसके लिए 10 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है।”

जहां तक केंद्र सरकार का सवाल है, तो उसकी नीति के अनुसार ‘प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों’ पर एक रुपये प्रति पैड की दर से सैनिटरी पैड उपलब्ध हैं। हालांकि आम लोगों के बीच इसकी जानकारी बहुत कम है। साथ ही जनऔषधि केंद्र भी पर्याप्त संख्या में दिखाई नहीं देते।

किन देशों में मुफ्त है सैनिटरी पैड?

राष्ट्रीय स्तर पर सैनिटरी पैड ही नहीं सभी पीरियड प्रोडक्ट्स मुफ्त करने वाला दुनिया का पहला देश स्कॉटलैंड है। इस संबंध में नवंबर 2020 में वहां एक कानून पारित कराया गया था। पीरिडय प्रोडक्ट्स को फ्री करने से संबंधित बिल को लेबर एमएसपी मोनिका लेनन ने पेश किया था, जो 2016 से ‘पीरियड पोवर्टी’ को खत्म करने के लिए अभियान चला रही हैं।

क्या है पीरियड पोवर्टी?

पीरियड पोवर्टी उस परिस्थिति को कहा जाता है, जब कम आय वाली महिलाएं पीरियड प्रोडट्स (पैड, टेम्पॉन, आदि) का खर्च वहन नहीं कर पातीं, जिससे कारण वह दूसरे असुरक्षित विकल्पों को चुनती हैं। लगभग पांच दिनों तक चलने वाली औसत पीरियड के लिए, टैम्पोन और पैड आदि पर प्रति माह कुछ रकम खर्च होती है।

कैसे खत्म होगी पीरियड पोवर्टी?

हार्वर्ड मेडिकल हेल्थ की वेबसाइट पर प्रकाशित एक आर्टिकल में पीरियड पोवर्टी को दूर करने के उपाए सुझाए गए हैं, “पीरियड पोवर्टी को दूर किया जा सकता है। अगर पीरियड प्रोडक्ट्स पर से टैक्स को खत्म कर दिया जाए। उदाहरण से समझिए- जिस तरह भोजन हम सभी के लिए आवश्यक है और उस पर टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए। वैसे ही पीरियड हर महीने का नेचुरल प्रोसेस है, इसलिए पीरियड प्रोडक्ट्स पर भी टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए। जो पीरियड प्रोडक्ट्स रीयूजेबल हैं, जैसे मेंस्ट्रुअल कप पर सब्सिडी दी जानी चाहिए। सामान्य सैनिटरी पैड और टैम्पोन से जो कचरा बढ़ रहा उसे रीयूजेबल पीरियड प्रोडक्ट्स को प्रमोट कर कम किया जा सकता है। स्कूलों और सरकारी अस्पतालों में पैड और टैम्पोन निःशुल्क उपलब्ध होने चाहिए।”