दिलीप कुमार पर हमेशा यह आरोप लगता रहा कि वे निर्देशकों के काम में हस्तक्षेप करते थे। कहा जाता है कि ‘लीडर’ बनने के दौरान इसके निर्देशक राम मुखर्जी (रानी मुखर्जी के पिता) बाहर बैठे रहते थे और अंदर सेट पर दिलीप कुमार फिल्म का निर्देशन करते थे। मगर उनके हस्तक्षेप से कोई सीन या कोई सीक्वेंस किस तरह से चमक उठती है इसका उदाहरण है ‘संगदिल’, (मधुबाला, दिलीप कुमार, शम्मी, 1952) जिसकी पटकथा ‘रामायण’ बनाने वाले रामानंद सागर ने लिखी थी। दिलीप कुमार हस्तक्षेप नहीं करते तो संगीत प्रेमियों को इतना सुरीला गाना सुनने को नहीं मिलता।

वाकया 1952 का है। निर्माता-निर्देशक आरसी तलवार मधुबाला, दिलीप कुमार, शम्मी को लेकर फिल्म ‘संगदिल’ का एक गाना फिल्मा रहे थे। शमशाद बेगम के गाए इस गाने के बोल थे-चल वहां पिया जहां तेरा मेरा जिया हिलमिल के हंसे, हिलमिल के मिले…’ यह बॉलरूम डांस था, जिसमें दिलीप कुमार को सिर्फ कदमताल करना था। दिलीप कुमार ने देखा कि गाने में उनके करने के लिए कुछ भी नहीं है और गाना भी कोई बहुत अच्छा नहीं है, तो उन्होंने निर्देशक से कहा कि जम नहीं रहा है आप इस गाने को बदल ही दीजिए। तलवार परेशान हो गए। उन्होंने संगीतकार सज्जाद हुसैन को दिलीप कुमार की फरमाइश बताई। सज्जाद हुसैन को बहुत बुरा लगा।

हुसैन मुंहफट थे और अपने आगे किसी को कुछ समझते नहीं थे। वह किशोर कुमार को शोर कुमार और तलत महमूद को गलत महमूद कहते थे। उनके अख्खड़पन के किस्से मशहूर थे। इसलिए 33 साल फिल्मों में काम करने के बावजूद सज्जाद हुसैन ने गिनती की 17 फिल्मों में संगीत दिया। नामी गिरामी गायक उनके लिए गाने से हिचकते थे क्योंकि वह अपने हुनर में माहिर थे और गायकों से कड़ी मेहनत करवाते थे। दिलीप कुमार यहां उनके काम में हस्तक्षेप कर रहे थे, जिसके कारण सज्जाद का पारा चढ़ गया था। सज्जाद हुसैन समझ गए कि इस गाने में दिलीप कुमार खुद को आगे रखना चाहते हैं जबकि गाना शम्मी पर था और यही बात दिलीप कुमार को खटक रही थी।

लिहाजा सज्जाद ने शमशाद बेगम के उस गाने को तलत महमूद से गवाना तय किया, जिन्हें वह गलत महमूद कहते थे। यह गाना था ‘ये हवा ये रात ये चांदनी तेरी इक अदा पे निसार है…’ गाना तैयार हुआ। नृत्य निर्देशक गोपीकृष्ण ने इसका निर्देशन किया। यह गाना खूब लोकप्रिय हुआ। इतना कि इसने सज्जाद हुसैन की प्रतिष्ठा में चार चांद लगा दिए और 80 लाख में बनी ‘संगदिल’ ने करोड़ों का कारोबार किया। मगर ‘संगदिल’ के बाद सज्जाद हुसैन ने फिर कभी दिलीप कुमार के साथ काम नहीं किया क्योंकि उन्हें अपने काम में किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं था।