दारा सिंह ने खूब कुश्तियां लड़ीं। किंग कांग के साथ उनकी कुश्ती की चर्चा आज तक होती है तो इसलिए कि दोनों ने ‘किंग कांग’ (1962) नामक फिल्म में साथ काम किया था। दोनों एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी थे मगर उनकी गहरी दोस्ती भी थी, जो लंबे समय तक चली। कहा जाता है कि दारा सिंह को ग्रीक-रोमन स्टाइल की व्यावसायिक कुश्ती के पहलवान के रूप में स्थापित करने में किंग कांग की अहम भूमिका थी और किंग कांग को हिंदी सिनेमा में काम दिलाने में दारा सिंह ने खूब मदद की।
दारा सिंह की लोकप्रियता को भुनाने के लिए बॉलीवुड आगे आया। चूंकि उस दौर में कुश्तियों के बजाय फिल्मों में काम करने के ज्यादा पैसे मिल रहे थे, इसलिए दारा सिंह ने भी प्रस्ताव मिलने पर इस दिशा में पहलकदमी की। कहा जाता है कि ‘किंग कांग’ में काम करने के लिए उन्होंने हजार रुपए रोज मेहनताना लिया था। दरअसल 40 और 50 के दशक में स्टंट फिल्मों का अपना दर्शक वर्ग तैयार हो गया था और पहलवानों को फिल्मों में खूब मौके मिल रहे थे। वाडिया और नाडिया (निर्देशक होमी वाडिया और अभिनेत्री फियरलेस नाडिया) की एक्शन फिल्में हिट हो रही थीं। सैंडो, जयराज और मास्टर विट्ठल जैसे एक्शन हीरो की फिल्मों में खूब पूछ-परख थी। स्टंट फिल्मों के इसी सफर को दारा सिंह ने आगे बढ़ाया। वह बी ग्रेड एक्शन फिल्मों के स्टार बन गए थे। 16 फिल्मों में उनके साथ हीरोइन मुमताज ने काम किया। दो-तीन फिल्मों में छिटपुट काम करने के बाद दारा सिंह को 1962 में ‘किंग कांग’ फिल्म का प्रस्ताव मिला था।
गांव के किसान के बेटे दारा सिंह के लिए अभिनय नया काम था। उन्होंने भोलेपन से पूछा कि फिल्म में तो वह काम कर लेंगे लेकिन एक्टिंग कौन करेगा। निर्देशक बाबूभाई मिस्त्री ने उन्हें समझाया कि यह सब वह करवा लेंगे। कैमरामैन-निर्देशक बाबूभाई मिस्त्री मुंबई फिल्मजगत में काले धागे के दम पर फिल्मों में स्पेशल इफेक्ट्स पैदा करने के लिए जाने जाते थे। 1961 में उनकी ‘संपूर्ण रामायण’ हिट हो चुकी थी।
हालांकि दारा सिंह और किंग कांग (15 जुलाई को उनकी 110वीं जयंती है) की कुश्ती 1953 में तमिल फिल्म ‘पोन्नी’ में दिखाई गई थी। दारा सिंह की हिंदी कमजोर थी, ‘किंग कांग’ के ज्यादातर गाने हीरोइन कुमकुम के हिस्से में गए। दारा सिंह के संवाद डब करवाए गए। इस फिल्म की अपार सफलता के बाद दारा सिंह और किंग कांग गहरे मित्र बन गए। हंगरी में पैदा हुए किंग कांग का असली नाम एमिल जाजा था और धरमूचक, पंजाब में पैदा हुए दारा सिंह का दीदार सिंह रंधावा। एक तरह से दारा सिंह ने पहले तो रिंग में किंग कांग को हराया और बाद में उन्हें अपना मित्र बनाया।
दोनों ने साथ में ‘किंग कांग’, ‘फौलाद’, ‘आया तूफान’, ‘किंग आॅफ कार्निवल’, ‘सैमसन’, ‘हर्क्युलस’, ‘टार्जन एंड किंग कांग’, ‘संग्राम’, ‘हम सब उस्ताद हैं’ जैसी हिंदी फिल्मों में काम किया। बाद में दारा सिंह ने पंजाबी फिल्मों पर ध्यान देना शुरू किया। फिल्मवालों से अच्छे रिश्ते होने के कारण वह ‘मेले मित्रां दे’ में किंग कांग के अलावा पृथ्वीराज कपूर को लेकर आए। ‘नानक दुखिया सब संसार’ में बलराज साहनी, ‘धन्ना भगत’ में फिरोज खान, ‘दुख भंजन तेरा नाम’ में उनके कहने पर धमेंद्र और सुनील दत्त पंजाबी फिल्म में काम करने के लिए तैयार हो गए। राज कपूर के साथ उन्होंने 1970 में ‘मेरा नाम जोकर’ में रिंग मास्टर की भूमिका की थी, तो उनकी पोती करीना कपूर के साथ ‘जब बी मेट’ 2007 में दारजी बने।