इंडिया की कई दिग्गज अभिनेत्रियां रहीं, जिनके जिक्र अक्सर हुआ करते हैं। लेकिन इंडिया की पहली फीमेल स्टार की अगर बात करें तो इंटरनेट पर इसे लेकर अलग-अलग नाम सामने आते हैं। महिला दिवस के मौके पर हम आपको भारत की पहली एक्ट्रेस के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया था।
इंटरनेट पर सर्च करने पर देविका रानी का नाम आता है, जिन्होंने साल 1933 में फिल्म ‘करमा’ से डेब्यू किया था और उस वक्त उन्होंने किसिंग सीन दिया था, जिसके कारण वो खबरों में आ गई थीं। इनके अलावा फातिमा बेगम का नाम भी आता है, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में 1922 में सायलेंट फिल्म ‘वीर अभिमन्यु’ से डेब्यू किया था। इसके बाद वो प्रोड्यूसर और डायरेक्टर बन गईं। मगर ये सारी जानकारी सही नहीं है, भारत की पहली महिला स्टार और कोई नहीं बल्कि दिवंगत अभिनेता विक्रम गोखले की ग्रेट ग्रैंड मदर थीं।
साल 2022 में सिने एंड टेलीविजन आर्टिस्ट एसोसिएशन (CINTAA) ने विक्रम गोखले के निधन के बाद उनकी याद में एक कार्यक्रम रखा था। इस दौरान बताया गया था कि उनकी परदादी भी हिंदी सिनेमा का हिस्सा रही हैं। इंडिया न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक बाद में रिसर्च में पता चला कि विक्रम गोखले की परदादी भारत की पहली महिला स्टार थीं और उनका नाम था दुर्गा बाई कमत। भारतीय सिनेमा के पितामह दादा साहेब फाल्के ने नवंबर 1913 में कामत को अपनी दूसरी फिल्म ‘मोहिनी भस्मासुर’ में ब्रेक दिया था।
दादा साहब फाल्के ने जब 1913 में अपनी पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ का निर्माण किया, उस समय कोई भी महिला कलाकार फिल्म में काम करने के लिए तैयार नहीं हुई, इसलिए दादा साहब फाल्के ने तारामती की भूमिका के लिए अन्ना सालुंके को चुना। उस दौर में फिल्मों में काम करने वाली महिलाओं को नीची निगाह से देखा जाता था। जब विक्रम गोखले की परदादी ने ‘मोहिनी भस्मासुर’ में काम किया, तो उन्हें भी काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
दुर्गा बाई ने फिल्म में पार्वती का रोल किया और इसी में उनकी बेटी कमला बाई ने मोहिनी का रोल किया। कमला बाई उस वक्त केवल 13 साल की थीं और वो भी भारत की पहली फीमेल चाइल्ड आर्टिस्ट बन गईं। साल 1913 में भारतीय सिनेमा के इतिहास में दो महिला कलाकारों ने डेब्यू किया। ये वो समय था जब कलाकार महिलाओं को बाईजी की उपाधि दी जाती थी और ये उपाधि उन दिनों वेश्याओं के लिए भी प्रचलित थी।
दुर्गाबाई एक ट्रैवलिंग थिएटर कंपनी से भी जुड़ी थीं और घूम-घूम कर अभिनय करती थीं। उस समय थिएटर में अभिनय करना भी सही नहीं माना जाता था। दुर्गाबाई एक ब्राह्मण परिवार से थीं और उनके फिल्मों और थिएटर में काम करने को लेकर खूब हंगामा हुआ। पंचायतें हुईं और उस समय के ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने कामत का बहिष्कार कर दिया। लेकिन कहा जाता है कि उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने रास्ते पर डटी रहीं। दुर्गाबाई कामत ने करीब 70 फिल्मों में काम किया था और उनका निधन 117 साल की उम्र में हुआ था।