बॉलीवुड फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली का इंडस्ट्री में अपना एक अलग ही रुतबा है। उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफलता के नये आयाम स्थापित करती हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वो अपनी मां से बेहद प्यार करते हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने नाम के साथ पिता की जगह अपनी मां का नाम जोड़ रखा है। लेकिन बात सिर्फ इतनी सी ही नहीं है कि संजय अपनी मां से प्यार करने की वजह से ही अपने सरनेम में उनका मान जोड़कर रखते हैं। इसके पीछे एक और खास वजह है जो संजय लीला भंसाली को ऐसा करने के लिए प्रेरित करती है।
दरअसल संजय लीला भंसाली के पिता एक प्रोड्यूसर थे, लेकिन वो सफल ना हो सके और वो इस ग़म को बर्दाश्त नहीं कर पाने की वजह से शराब पीने लगे। भंसाली के पिता इस कदर शराब के नशे में डूबे रहने लगे कि उन्होंने परिवार की ज़िम्मेदारी उठाना छोड़ दी। तब उनकी मां लीला भंसाली ने घर की जिम्मेदारी उठाई और गुजराती रंगमंच पर नृत्य कर अपने घर का खर्चा चलाया। इतना ही नहीं संजय की मां ने लोगों के कपड़े सीना भी शुरू किया और अपने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाई कराई। अपनी बाल्य अवस्था में इन सब चीज़ों का संजय पर बड़ा प्रभाव पड़ा।
संजय की मां लीला भंसाली ने अपनी जिंदगी में बेहद संघर्ष किया है। गरीबी में भी हिम्मत नहीं हारी। टूटी नहीं। संघर्ष कर डटी रहीं। अपने बच्चों को प्यार से पाला। शिक्षा दिलाई। संजय ने अपनी मां की जिंदगी को बेहद करीब से देखा। बड़े होने पर उन्हें मां की परेशानियां और संघर्ष समझ में आया और इसी वजह से उन्होंने अपनी मां का नाम अपने नाम के साथ में जोड़ लिया।
बता दें संजय लीला भंसाली ने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद पुणे स्थित एफटीआईआई (FTII) में दाखिला लिया। वहां से निकलने के बाद वे मुंबई आए। उस समय विधु विनोद ‘परिंदा’ नाम की फिल्म बना रहे थे। भंसाली की प्रतिभा से विधु काफी प्रभावित हुए। उन्होंने संजय को अपना असिस्टेंट बना लिया। जब फिल्म पूरी हुई और स्क्रीन पर जाने वाले नामों की लिस्ट मांगी गई तो भंसाली ने अपना नाम संजय लीला भंसाली लिखवाया। मां का कर्ज़ तो वो नहीं चुका सकते थे। लेकिन इसके जरिए उन्होंने अपनी मां को आदरांजलि दी।