इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में गो हत्या रोकने के लिए बनाए गए गोवध संरक्षण कानून (Prevention of Cow Slaughter Act) के दुरुपयोग और बेसहारा जानवरों की देखभाल की स्थिति पर चिंता जाहिर की है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इस कानून का गलत इस्तेमाल हो रहा है, इसका उपयोग निर्दोष लोगों के खिलाफ भी हो रहा है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की गायों की हालत और इस एक्ट के दुरुपयोग के संदर्भ में की गई टिप्पणी का देश के मशहूर कवि कुमार विश्वास ने भी समर्थन किया है। कुमार विश्वास ने गायों को पालने में आ रही समस्याओं पर भी अपनी चिंता जाहिर की है।
कुमार विश्वास ने ट्वीट करते हुए लिखा है,’चूँकि स्वयं लगभग 10 गायों-गौवंश की गोशाला रखता हूँ इसलिए माननीय उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी से 100% सहमत हूँ। पिछले कुछ सालों में गाय खरीदना,मँगवाना,भेजना, रखना, गर्भाधान कराना सबकुछ इतना जटिल और रिस्की हो गया है कि मेरे एक दर्जन जानने वाले गोपालकों ने तो गाय रखनी तक बंद कर दी हैं।’
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ ने यह टिप्पणी गोहत्या में आरोपी बनाए गए शामली के रहमुद्दीन की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की थी। आरोपी को जमानत देते हुए जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा था कि इस कानून का उपयोग निर्दोष लोगों के खिलाफ हो रहा है। जब भी मांस बरामद होता है, कई मामलों में बिना किसी फॉरेंसिक लैबोरेट्री जांच के उसे गाय का मांस मान लिया जाता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ ने गायों की दयनीय हालत, गायों द्वारा किसानों की फसल बर्बादी पर भी सख्त टिप्पणी की। हाईकोर्ट ने कहा गौशालाएं बिना दूधवाली और बूढ़ी गायों को नहीं ले रही हैं। गोशालाएं सिर्फ दुधारू गायों को ही रखने में दिलचस्पी दिखा रही हैं। लोग भी बूढ़ी और दूध न देने वाली गायों को छोड़ देते हैं और वो सड़कों पर घूमने के लिए मजबूर हैं।
सड़क पर गायों और मवेशियों के होने से वहां से गुजरने वाले लोगों के लिए भी खतरा है। ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा गायें किसानों की फसलों को बर्बाद कर रही हैं। पहले किसान नील गायों से डरते थे, अब उन्हें गायों से भी अपनी फसल की रक्षा करनी पड़ रही है।

