फिल्म व्हाय चीट इंडिया: निर्देशक- सौमिक सेन, कलाकार- इमरान हाशमी, श्रेया धनवंतरी, स्निग्धदीप चटर्जी: बहुत से लोग अपने बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते हैं। इनमें से ज्यादातर लोग अपने बच्चों को महंगी कोचिंग या ट्यूशन कराते हैं। पर कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो मेहनत नहीं करते या करना नहीं चाहते, बस किसी जुगाड़ से पास हो जाना चाहते हैं। यही बच्चे ऐसे लोगों के चक्कर में फंसते हैं जो पैसे लेकर नकल कराते हैं और छात्रों को परीक्षाओं में पास कराते हैं। इमरान हाशमी ने इस फिल्म में इसी तरह के नटवरलाल की भूमिका निभाई है। वैसे ‘राजा नटवरलाल’ में भी इमरान इस तरह का किरदार निभा चुके हैं।
‘व्हाय चीट इंडिया’ में इमरान हाशमी रॉकी उर्फ राकेश सिंह बने हैं जो इस बात पर नजर रखता है कि कौन बच्चे अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा पास करते हैं। रॉकी ऐसे बच्चों को पैसे खिलाकर उन्हें दौलतमंद लोगों के बच्चों की जगह मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में बिठाता है। इस काम के जरिए वह खूब पैसे कमाता है और उसका धंधा भी दिनोंदिन बढ़ता जाता है। लेकिन जैसे बुरे काम का बुरा नतीजा होता है वैसे रॉकी भी एक दिन पुलिस के हत्थे चढ़ जाता है। उसके जाने के बाद भी उसका धंधा रुकता नहीं है और कुछ दिन जेल की हवा खाकर लौटने के बाद वह फिर से अपने धंधे में लग जाता है। पिछले कुछ बरसों में देश में ऐसे कई नटवरलाल या ठगों का वर्चस्व बढ़ा है। फिल्म इसी गोरखधंधे का असली चेहरा दिखाती है। हालांकि फिल्म में कई कमजोरियां भी हैं। एक तो इस तरह के जालसाज या ठग को नायक का दर्जा देना मुश्किल हो जाता है इसलिए कुछ तरकीबें लगानी पड़ती हैं।
इसी तरकीब पर काम करते हुए निर्देशक ने रॉकी को गायक बना दिया है ताकि फिल्म में गानों की भी गुंजाइश बन सके। फिल्म में प्रेम प्रसंग भी है जिससे हीरो को रोमांटिक दिखाया जा सके, लेकिन निर्देशक सौमिक सेन यहीं पर मात खा गए हैं। एक तो उन्होंने रॉकी को शादीशुदा दिखाया और फिर श्रेया धनवंतरी के साथ उसका एक रोमांटिक पहलू भी दिखा दिया। अभिनय की बात करें तो इमरान हाशमी का किरदार प्रभावशाली है, लेकिन फिल्म का अंत कमजोर है और सारी नाटकीयता की हवा निकाल देता है। और हां, जिन लोगों यह जानने में दिलचस्पी है कि इमरान हाशमी की इस फिल्म में किसिंग सीन है या नहीं, उनकी जानकारी के लिए बता दिया जाए कि फिल्म में एक किसिंग सीन है। इमरान के फैंस को इसी से काम चलाना पड़ेगा।
फिल्म फ्रॉड सइयां
निर्देशक- सौरभ श्रीवास्तव, कलाकार- अरशद वारसी, सौरभ शुक्ला, सारा लॉरेन, एली एवराम
अरशद वारसी की फिल्म ‘फ्रॉड सइयां’ एक फूहड़ कॉमेडी है, जोकि महिलाओं का मजाक उड़ाती है। ऐसे वक्त में जब पूरी फिल्मी दुनिया में मीटू अभियान जोरों पर है, इस तरह की फिल्म आना सारे अभियान की हवा निकालने वाला है। अरशद वारसी ने इस फिल्म में भोला त्रिपाठी नाम के एक ऐसे शख्स का किरदार निभाया है जो एक के बाद एक लगातार कई शादियां करता है और हर शादी के बाद अपनी पत्नी के पैसे और गहने लेकर चंपत हो जाता है। भोला त्रिपाठी शादी के बाद शहर बदलता है और साथ में बीवियां भी। फिल्म के कई दृश्यों में द्विअर्थी संवाद हैं। इंटीमेट सीन भी है लेकिन भद्दे। फिल्म इस धारणा पर बनी है औरत को क्या चाहिए? सिर्फ सिंदूर, यानी एक अदद पति। हालांकि फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि एक दिन एक दबंग औरत (सारा लॉरेन) भोला पर भारी पड़ती है। कुल मिलाकर यह फिल्म उस वक्त के सांचे में ढली है जब औरतों को लेकर होने वाले भद्दे मजाकों पर सवाल नहीं उठते थे।
अरशद अपनी भूमिका में वो छाप नहीं छोड़ पाए हैं जो उन्होंने ‘जॉनी एलएलबी’ और ‘इश्किया’ में छोड़ी थी। सौरभ शुक्ला फिल्म में पुराने जमाने के जासूस बने हैं। हालांकि वे जासूसी कम ही करते दिखते हैं। फिल्म के निर्माता प्रकाश झा और उनकी बेटी दिशा झा हैं। इसलिए भी हैरानी होती है कि उन्होंने कैसी फिल्म में पैसा लगाया। कुछ दिन पहले इस फिल्म के निर्देशक सौरभ श्रीवास्तव का अखबार में बयान आया था कि उनका नाम इस फिल्म से जोड़ा न जाए। शायद उन्हें शर्मिंदगी है कि उन्होंने यह फिल्म निर्देशित की है। वैसे सौरभ का यह भी कहना है कि फिल्म निर्माण के दौरान प्रकाश झा का पूरा नियंत्रण था और जिस तरह वे इस फिल्म को बनाना चाहते थे, यह उस तरह नहीं बन पाई है। बाकी फैसला दर्शकों को करना है।