आलिया भट्ट इन दिनों अपनी फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ को लेकर खूब सुर्खियों में बनी हुई हैं। इस फिल्म में उन्होंने गंगूबाई की मुख्य भूमिका निभाई है। संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ आज यानी 25 फरवरी को रिलीज हो गई है। आपको बता दें कि आलिया की ये फिल्म लेखक हुसैन जैदी की पुस्तक ‘माफिया क्वींस ऑफ मुंबई’ के एक अध्याय पर आधारित है।
जैदी की पुस्तक में गंगूबाई का जीवन ‘द मैट्रिआर्क ऑफ कमाठीपुरा’ नामक अध्याय में विस्तार से दर्शाया गया है। लेखक के अनुसार, गंगूबाई का असली नाम गंगा हरजीवनदास था और वो गुजरात की रहने वाली थीं। गंगा का जन्म गुजरात के एक शाही परिवार में हुआ था। अच्छे घर में जन्म लेने के कारण उन्हें परिवार से बेहद प्यार मिला। उनका परिवार काफी सख्त था।ट
परिवार गंगा को पढ़ाई के लिए काफी प्रोत्साहित करता था, जो 1940 के दशक में कम लोग किया करते थे लेकिन गंगा बड़ी होकर फिल्मों में काम करना चाहती थीं। कॉलेज के दिनों में सिर्फ 16 साल की उम्र में ही उन्हें रमनिक लाल नाम के शख़्स से प्यार हो गया था, जो कि उनके पिता का अकाउंटेंट हुआ करता था। दूसरी तरफ उनका परिवार इस प्यार के खिलाफ था।
रमणीक लाल ने गंगा को बताया था कि वो मुंबई में रह चुका है, जिसके चलते गंगा का उसके प्रति आकर्षण बढ़ने लगा। रमणीक अक्सर गंगा को मुंबई ले जाकर उनके सपने पूरे करने के वादे करते रहता था, जिसकी वजह से वो उसके प्यार में अंधी हो गईं। इसके बाद गंगा घर से कुछ पैसे और गहनें लेकर भाग गईं और मंदिर में रमणीक से शादी कर ली। घर से भागकर दोनों मुंबई आ गए थे। गंगा को लगा कि वो अब अपने प्रेमी के साथ मुंबई में रहकर अभिनेत्री बनने का सपना पूरा करेंगी। लेकिन रमणीक लाल ने उन्हें धोखा दे दिया।
रमणीक ने गंगा को सिर्फ 500 रुपये में वेश्या के हाथों बेच दिया। गंगा अब यहां बुरी तरह फंस चुकी थीं। वो अपने घर भी वापस नहीं जा सकती थीं। वैसे ही घर से भागने की वजह से उनके परिवार की काफी बेइज्जती हो चुकी थी। अगर घर वापस जातीं तो सबको पता चलता कि वो वेश्यालय से लौट कर आई हैं। इसके बाद गंगा ने हालातों के साथ समझौता किया और वो गंगा से गंगूबाई बन गईं।
जैदी की पुस्तक के अनुसार मुंबई में उस समय डॉन करीम लाला का राज चला करता था। इसी डॉन के करीबी शौकत खान ने गंगू का रेप किया था, वो गंगू को बहुत परेशान किया करता था। इसी बात की शिकायत लेकर गंगू करीम लाला के पास पहुंच गईं। गंगू से उनकी कहानी सुन करीम लाला ने उनकी मदद की और कहा कि अगली बार जब शौकत आए तो मुझे बताना, तुम्हें न्याय जरूर मिलेगा।ट
घर से बहार निकलने के बाद पहली बार किसी ने गंगू की मदद करने की बात कही थी। इसलिए गंगू ने करीम को भाई बना लिया और उसे राखी बांधी। इसके बाद जब शौकत खान गंगूबाई के कोठे पर आया तो करीम ने उसकी खूब पिटाई की और सबके सामने गंगूबाई को मुंहबोली बहन कहा। इस एक घटना के बाद गंगूबाई का नाम विख्यात हो गया। जिसके बाद बड़े-बड़े गैंगस्टर हो या डॉन बिना गंगूबाई की मर्जी से उस वेश्यालय में कोई आ नहीं सकता था।
बता दें, वेश्यालय में गंगूबाई सिर्फ सेक्स वर्करों की भलाई और कल्याण के लिए काम किया करती थीं। उस दौरान जो भी सेक्स वर्कर वेश्यालय छोड़कर जाना चाहती थी, गंगूबाई उसकी मदद भी किया करती थीं। इसी के साथ उस वेश्यालय में जबरदस्ती किसी को भी रहने के लिए मजबूर नहीं किया जाता था। इतना ही नहीं उन्होंने कई अनाथ बच्चों को गोद भी लिया था और उन्हें खूब पढ़ाया-लिखाया।
हुसैन जैदी ने अपनी पुस्तक में ये भी बताया है कि गंगूबाई के आगे के वर्षों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। उन्हें सोने के गहनों के प्रति प्रेम रखने के लिए जाना जाता था और वो एक बेंटले कार में घूमती थीं। गंगूबाई द्वारा गोद लिए गए बब्बी नाम के उनके बेटे ने जैदी से बातचीत की थी और उन्हें बताया था कि उन्हें शराब और जुए का भी शौक था। इसके आगे जैदी ने उल्लेख किया है कि गंगूबाई के अंतिम दिनों के बारे में नहीं पता है लेकिन साल 1975-1978 के बीच वृद्धावस्था में उनकी मृत्यु हो गई थी।