1990 में जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराई गई तब पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया था। इसका असर मुंबई पर भी हुआ और 12 मार्च 1993 को मुंबई के अलग-अलग हिस्सों में 12 बम विस्फोट हुए जिसने मुंबई में भारी तबाही मचाई। इन बम धमाकों में संजय दत्त का नाम घसीटा गया क्योंकि उन्होंने बम धमाकों में संलिप्त अबु सलेम से हथियार लिए थे। संजय दत्त पर टेररिस्ट एंड डिसरिप्टिव एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (TADA) लगा और उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। कहा जाता है कि संजय दत्त जब जेल में थे तब बाल साहेब ठाकरे ने उन्हें बाहर निकलने में मदद की थी।

संजय दत्त के पिता सुनील दत्त उस वक्त महाराष्ट्र में तेजी से उभर रही शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के पास गए थे। उन्होंने अपने बेटे को जेल से रिहा करने के लिए उनसे मदद मांगी थी। जब संजय अक्टूबर 1995 में जेल से बाहर निकले तो बाल ठाकरे बेहद खुश हुए थे और उन्होंने संजय को गले से लगा लिया था।

संजय दत्त जब रजत शर्मा के शो आपकी अदालत में पहुंचे थे तब रजत शर्मा ने ये बात उठाई थी। उन्होंने कहा था, ‘संजय मेरे पास 17 अक्टूबर 1995 का अखबार है जिसमें जब आप जेल से लौटे तो बाला साहेब ठाकरे आपको गले लगा रहे हैं। बाल ठाकरे ने आपकी मदद की और उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी के निधन के बाद मुझे खुश होने का कोई मौका नहीं मिला। आज संजय दत्त को जेल से बाहर निकलते देखकर मैं पहली बार खुश हो रहा हूं।’

 

रजत शर्मा ने संजय दत्त से पूछा था कि बाल ठाकरे ने उन्हें बहुत प्यार दिया लेकिन जब वो राजनीति में आए तो शिवसेना के बजाय उन्होंने अमर सिंह का यानी समाजवादी पार्टी का हाथ क्यों थामा।

जवाब में संजय दत्त ने कहा था, ‘बाला साहेब मेरे पिता समान हैं। जो उन्होंने मेरे और मेरे परिवार के लिए किया है, ये ज़िंदगी में कभी भूल नहीं सकता। मैं उन्हें पिता के समान प्यार करता हूं लेकिन उनकी सोच में, मैं और मेरे पिता सुनील दत्त विश्वास नहीं रखते। हम लोग सेकुलरिज्म में विश्वास करते हैं। समाजवादी पार्टी सेकुलर है।’

 

वहीं जब सुनील दत्त रजत शर्मा के शो में आए थे तब उनसे रजत शर्मा ने सवाल पूछा था कि वो शिवसेना का पूर्व में विरोध करते रहे थे फिर संजय दत्त के लिए मदद मांगने वो शिवसेना के पास ही क्यों गए। जवाब में उन्होंने कहा था, ‘उस वक्त शिवसेना सत्ता में थी और बाल ठाकरे हमेशा कहते थे कि सत्ता की चाबी उनके हाथों में है। स्वाभाविक सी बात है, जिसके हाथ में सत्ता की चाबी होगी, आदमी उसी के पास मदद के लिए जाएगा।’