गीतकार जावेद अख्तर और आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव (सद्गुरु) किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। दोनों धर्म, आध्यात्म, सांप्रदायिकता से लेकर पर्यावरण जैसे मसलों पर अक्सर अपने विचार रखते रहते हैं। ऐसा ही एक मौका कुछ साल पहले तब आया था जब सद्गुरु और जावेद अख्तर Think फोरम के मंच पर एक साथ नजर आए। सवाल जवाब के क्रम में दोनों ने एक-दूसरे पर तीखी टिप्पणी भी की थी।

दरअसल, शो की मॉडरेटर पत्रकार शोमा चौधरी ने जावेद अख्तर ने आस्था (फेथ) को लेकर एक सवाल किया। इस पर जावेद अख्तर कहते हैं, ‘किसी भी बहस और बातचीत को शुरू करने से पहले शब्दों का सही मतलब समझ लेना चाहिए। हो सकता है फेथ से आपका मतलब कुछ और हो और मैं समझ कुछ और रहा हूं। आस्था (फेथ) और विश्नास (बिलीफ) दो अलग-अलग चीजें।

जैसे- मैं विश्वास करता हूं कि मैं इस वक्त गोवा में हूं, मैं विश्वास करता हूं कि नॉर्थ पोल नाम की एक जगह है, मैं विश्वास करता हूं कि इथियोपिया एक गरीब देश है, जर्मनी एक अमीर देश है…क्या ये मेरी फेथ है? आखिर ऐसा क्यों नहीं है?’ जावेद अख़्तर आगे कहते हैं, ‘मैं आपको बताता हूं कि ये मेरी फेथ क्यों नहीं है, क्योंकि ये तर्कसंगत है।’

जावेद अख्तर के इसी जवाब पर सद्गुरु उन्हें टोकते हुए कहते हैं कि ‘आप यह विश्वास कर रहे हैं कि आप नागपुर में हैं, ये सही में आपकी बिलीफ है, लेकिन आप गोवा में हैं ये सच्चाई है…अब आप इस पर विश्वास करें या न करें। वास्तविकता और बिलीफ में फर्क है। अगर आप ये मानते हैं कि आप जिन चीजों पर विश्वास कर रहे हैं वो सही हैं तो हम आपको किसी भी चीज पर विश्वास दिला सकते हैं।’ इस पर जावेद अख्तर बीच में टोकते हुए कहते हैं कि मैं इसका जवाब दूंगा…हमारी बिलीफ गलत हो सकती हैं…गलत तर्क पर केंद्रित हो सकती हैं…।’

गुरु की बात को सीरियसली ले लिया?

इस पर सद्गुरु चुटकी लेते हुए कहते हैं कि जब मैं पिछली बार जावेद अख्तर से मिला था तब वे बता रहे थे कि उन्हें किसी गुरु ने कहा है कि अपने दिमाग का इस्तेमाल न करें…पता नहीं किस गुरु ने ऐसा कहा था लेकिन एक बात तो साफ कि सलाह को गंभीरता से ले लिया। इस पर जावेद अख्तर कहते हैं, ‘मैंने आज तक किसी भी गुरु को सीरियसली नहीं लिया…एक बार फिर से क्लियर कर देना चाहता हूं।’