बॉलीवुड एक्ट्रेस नीना गुप्ता (Neena Gupta) फिल्मों के अलावा अपनी निजी जिंदगी को लेकर भी चर्चा में रही हैं। विवियन रिचर्ड्स से अफेयर हो या दूसरी शादी, नीना की जिंदगी के तमाम पहलुओं पर बात होगी है। एक वक्त ऐसा भी जब तमाम एक्टर्स की तरह (Neena Gupta) के पास भी काम नहीं था और फिल्म इंडस्ट्री में अपना मुकाम बनाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही थीं। उसी दौरान नीना गुप्ता कास्टिंग काउच (Casting Couch) का शिकार होते-होते बची थीं।
नीना गुप्ता ने पेंग्विन (Penguin Books) से प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘सच कहूं तो’ (Sach Kahun Toh: An Autobiography) में कास्टिंग काउच के अनुभव पर विस्तार से लिखा है। नीना लिखती है कि उन दिनों मेरी फिल्म ‘खानदान’ की शूटिंग पूरी हो गई थी। ‘खानदान’ में मेरा रोल एक ऐसी स्ट्रांग लड़की का था जो बच्चा नहीं चाहती बल्कि काम करना चाहती है। मुझे लगा कि यह मेरे करियर के लिए अच्छा होगा, लेकिन इसके बाद मुझे सब नेगेटिव रोल ऑफर होने लगे। ऐसे रोल जिसका कोई सिर-पैर नहीं होता था। इसकी वजह से मैं बहुत परेशान हो गई।
काम की तलाश में डायरेक्टर से मिलने गई थीं नीना गुप्ता
नीना गुप्ता लिखती हैं कि मैंने दोबारा फोटो खिंचाई और पोर्टफोलियो तैयार किया। मन में यह भी ख्याल आया कि वापस दिल्ली लौट जाऊं लेकिन मैंने दोबारा थिएटर में काम करना शुरू कर दिया। पृथ्वी थिएटर में मेरा नाटक चल रहा था। उसी दौरान एक दोस्त ने बताया कि साउथ इंडिया का एक डायरेक्टर आया है, उसे अपनी फिल्म के लिए एक लड़की की तलाश है। उसने मुझे प्रोड्यूसर का फोन नंबर दिया। मैंने प्रोड्यूसर को फोन किया तो पता चला कि वह ‘सन एंड सैंड’ होटल में ठहरे थे, जो पृथ्वी थियेटर के बिल्कुल नजदीक था।
नीना गुप्ता को डायरेक्टर ने होटल के कमरे बुला लिया था
नीना (Neena Gupta) लिखती हैं कि मैंने उस डायरेक्टर से अपना शो खत्म होने के बाद मिलने का टाइम फिक्स कर लिया। मैं जब होटल में पहुंची तो लॉबी से ही उसे फोन किया। डायरेक्टर ने कहा मैं आपका ही इंतजार कर रहा हूं…यह मेरा रूम नंबर है, आप ऊपर आ जाइए। एक बार मेरे दिल में आया कि मैं ऊपर ना जाकर उसी को नीचे बुला लूं, लेकिन लगा कि उसे ऐसा न लगे कि कल की छोकरी मुझे नीचे बुला रही है।
‘तुम रात यहां नहीं बिताओगी?’
बकौल, नीना ‘मैं ऊपर गई और दरवाजे पर दस्तक दिया। कमरे में सिर्फ 1 बेड और एक कुर्सी रखी थी। डायरेक्टर कुर्सी पर बैठे और मैं बैड के एक कोने पर बैठ गई। बातचीत शुरू हुई। मैंने उनसे अपने रोल के बारे में पूछा तो कहा कि हिरोइन की फ्रेंड का रोल होगा। छोटा-मोटा रोल ही था इसलिए मैं चुप हो गई। थोड़ी देर बाद मैंने कहा कि मुझे जाना है। इस पर उन्होंने तपाक से बोला, ‘कहां जाना है? तुम रात यहां नहीं बितओगी’?
डायरेक्टर की बात सुन कांपने लगे पैर
नीना गुप्ता लिखती हैं कि उसके इतना कहने भर से मेरी टांगे कांपने लगीं। दिल धड़कने लगा और मेरा खून सूख गया। लगा कि कोई ऐसा कैसे कह सकता है कि तुम यहां रात बिताओगी। मैं खड़ी हुई और अपना बैग उठाया। बोला- सर, मुझे जाना है। उन्होंने मेरी तरफ बड़ी नफरत भरी निगाहों से देखा और कहा जाओ, हमको तुमसे कोई काम नहीं है, कोई जरूरत नहीं है…।