दिलीप कुमार भारत के पहले मैथड अभिनेता थे। वो फिल्म के हर पहलू पर बड़े ही बारीकी से काम करते थे। हाल ही में जब दिलीप कुमार का निधन हुआ तब पूरा देश गमगीन हो गया था। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने भी दिलीप कुमार के जाने पर दुख व्यक्त किया था। दिलीप कुमार और लता मंगेशकर के बीच काफी अच्छे संबंध थे। हालांकि जब दिलीप कुमार पहली बार लता मंगेशकर से मिले थे और उन्हें पता चला था कि लता महाराष्ट्र से हैं तो उन्होंने कहा था कि मराठियों की उर्दू दाल-चावल जैसी होती है।
दिलीप कुमार फिल्म और गाने में इस्तेमाल की जानी वाली भाषा की शुद्धता का खास ख्याल रखते थे। उनकी फिल्मों और गानों में उर्दू का दखल भी काफी था। ऐसे में जब उन्हें बताया गया कि लता मंगेशकर काफी अच्छा गाती हैं तो उन्होंने लता के गाने पर कहा था कि महाराष्ट्र के लोग उर्दू अच्छी तरह नहीं समझते।
लता मंगेशकर ने खुद इस घटना का जिक्र एक इंटरव्यू के दौरान किया था। पाकिस्तानी पत्रकार कामरान शाहिद को दिए एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने बताया था, ‘मैं, अनिल विश्वास और यूसुफ साहब (दिलीप कुमार) ट्रेन में ट्रैवल कर रहे थे। अनिल विश्वास जी ने यूसुफ साहब से कहा कि दिलीप ये लड़की बहुत अच्छा गाती है। तो उन्होंने कहा कि क्या नाम है? मैंने कहा लता मंगेशकर। मराठी है? मैंने कहा हां।’
लता मंगेशकर ने आगे बताया था, ‘मराठी लोगों की उर्दू थोड़ी दाल-चावल जैसी होती है- ऐसे उन्होंने कहा था। उनकी बहूत अच्छी उर्दू थी। मैंने कुछ कहा नहीं।’ लता मंगेशकर ने बताया था कि दिलीप कुमार की टिप्पणी के बाद उन्होंने फैसला किया था कि वो उर्दू सीखेंगी। उर्दू सीखना लता मंगेशकर के लिए मुश्किल था लेकिन उन्होंने दिलीप कुमार की टिप्पणी को दिल पर ले लिया था और उर्दू सीखकर ही दम लिया था।
लता मंगेशकर ने जल्द ही इंडस्ट्री में अपनी पहचान बना ली थी और एक तरह से इंडस्ट्री में उनका एकाधिकार हो गया था। इस कारण कई लोग उनके दुश्मन भी बन बैठे थे। कहा जाता है कि एक बार उन्हें जान से मारने के लिए जहर भी दिया गया। वो कई दिनों तक बीमार रही थीं। कहा गया कि लता मंगेशकर के रसोइए ने ही उन्हें जहर दिया था। इसके बाद किसी नए रसोइए को काम के लिए नहीं रखा गया और रसोई की जिम्मेदारी लता की बहन उषा मंगेशकर ने संभाली थी।