अनुपम खेर ने हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में अपने अलग-अलग किरदारों से बड़ा मुकाम हासिल किया है। वो अपनी बात खुलकर रखने के लिए भी जाने जाते हैं। अपनी पहली ही फिल्म सारांश से वो एक अभिनेता के तौर पर स्थापित हो गए थे। इसके कुछ सालों बाद ही उन्हें अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘आखिरी रास्ता’ में काम करने का मौका मिला था। इस फिल्म के दौरान उनके साथ कुछ ऐसी घटना हुई कि उनके अंदर का अहंकार बिलकुल खत्म हो गया था।
डेब्यू करते ही अनुपम खेर बॉलीवुड के अच्छे अभिनेताओं में शुमार हो गए थे और उन्हें इस बात का गुमान भी हो गया था। बकौल अनुपम खेर, कामयाबी से उनका दिमाग खराब हो गया था। अनुपम खेर ने अमिताभ बच्चन से जुड़ा किस्सा खुद बताया था कि कैसे अमिताभ ने उनकी मानसिकता बदली थी।
उन्होंने कहा था, ‘1984 में मेरी पहली फिल्म आई थी और 87 तक मैं बहुत कामयाब हो गया था। कामयाबी से मेरा दिमाग थोड़ा ऊपर-नीचे हो गया था। फिल्मों में कामयाबी का मतलब होता है कि आपको आम ज़िंदगी से उठाकर फिल्म की फाइव स्टार पार्टीज, लग्जरीज में डूबो दिया जाता है, आम ज़िंदगी से आपका नाता टूटने लगता है, अहंकार की सीमाएं बढ़ने लगती हैं।’
उन्होंने बताया कि उनका फेम इतना बढ़ गया था कि वो अपनी कामयाबी को संभालने में नाकामयाब हो रहे थे। उन्होंने बताया, ‘एक दिन आखिरी रास्ता की शूटिंग के दौरान मैं मद्रास में गया हुआ था। मेरे मेकअप रूम का एसी काम नहीं कर रहा था तब मेरी सिग्नेचर ट्यून शुरू हो गई। मैंने कहा मैनेजर को बुलाओ- तुमने कहा था कि मद्रास के लोग मुंबई के लोगों से कहीं ज्यादा प्रोफेशनल होते हैं।’
अनुपम खेर ने बताया कि वो एसी को लेकर मैनेजर पर बरस पड़े थे, ‘ मेरा एसी कहां हैं? ये तो खराब है। नहीं, नहीं, पंखे की हवा अलग होती है और एसी की अलग होती है। बिना एसी के मेरी एक्टिंग बाहर नहीं आ रही। मेरा पहला सीन किसके साथ है? उन्होंने बोला अमिताभ के साथ। मैंने कहा, कहां हैं तो उन्होंने बताया कि अमिताभ तो टाइम से 10 बजे आ गए थे आप लेट आए हैं। मैंने कहा, मुझे प्रोफेशनलिज्म मत सिखाओ। वो किधर हैं?
उन्होंने आगे बताया था, ‘मैंने देखा कि अमिताभ बच्चन साहब एक कोने में बैठे हैं, पैंट, शर्ट, कंबल, दाढ़ी मूंछ लगाकर बैठे हुए हैं और एक किताब पढ़ रहे हैं। मैंने उनसे कहा कि इतनी गर्मी में आपने कंबल, कोट, दाढ़ी मूंछ, विग वगैरह लगा रखी है। आपको गर्मी नहीं लगती है? वो मेरी तरफ देखकर बोले कि गर्मी के बारे में सोचता हूं तो लगती है, नहीं सोचता हूं तो नहीं लगती।’ इस घटना के बाद अनुपम खेर फिर कभी एसी और बाकी सुविधाओं के लिए किसी पर नहीं चिल्लाए।
अनुपम खेर को उनकी पहली फिल्म मिलने का किस्सा भी दिलचस्प है। जब उन्हें फिल्म सारांश मिली, उन्होंने तैयारी 6 महीने पहले से ही शुरू कर दी थी। लेकिन फिर उन्हें पता चला कि महेश भट्ट ने उन्हें फिल्म से निकलकर संजीव कुमार को कास्ट कर लिया है।
ये सुनते ही गुस्से में अनुपम खेर ने अपना सामान बांधा और मुंबई से जाने लगे लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि वो महेश भट्ट से मिल लें और उन्हें अपने मन की बात बता दें। वो उनके पास गए और गुस्से में उन्हें खूब बुरा भला कहा। उन्होंने महेश भट्ट की शाप भी दे दिया। उनका गुस्सा देख महेश भट्ट खुश हो गए क्योंकि उन्हें लगा फिल्म के किरदार के लिए वो परफेक्ट हैं और उन्हें फिल्म दोबारा मिल गई।