संगीतकार और गायक विशाल ददलानी ने वंदे मातरम पर संसद में हुई 10 घंटे लंबी बहस के बाद सोशल मीडिया पर रिएक्शन दिया है। उन्होंने तंज कसते हुए एक वीडियो शेयर किया है और कहा है कि एक कविता पर 10 घंटे बहस हुई और इससे देश में चल रही बाकी समस्याए हल हो गईं। उनके वीडियो पर चुटकी लेते हुए प्रकाश राज ने भी रिएक्ट किया है।

व्यंग्यपूर्ण लहजे में, गायक ने वंदे मातरम पर संसद के लंबे सत्र पर आलोचना करते हुए कहा कि उसने अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय इस गीत पर 10 घंटे बहस करने में बिता दिए। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि इस लंबी बहस के कारण बेरोजगारी, इंडिगो का मुद्दा और वायु प्रदूषण जैसी समस्याएं कथित तौर पर हल हो गई हैं, जबकि इन वास्तविक मुद्दों पर चर्चा तक नहीं हुई।

अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर विशाल ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें वह कहते सुनाई दे रहे हैं, “नमस्कार, भाइयों और बहनों। मेरे पास आपके लिए एक खुशखबरी है। कल, हमारी संसद में वंदे मातरम पर 10 घंटे बहस हुई। वंदे मातरम बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा रचित एक बहुत ही प्रसिद्ध लोकगीत है। लोग इसे पसंद करते हैं। संसद में इस पर बहस हुई। इस दौरान किसी समस्या का जिक्र नहीं हुआ लेकिन यह दिक्कतें हल हो गई हैं। आपके टैक्स के पैसों से यह डिबेट हो रही है, अब बस आप गिनती कीजिए।’ इस बयान के जरिए विशाल सरकार पर तंज कस रहे हैं कि वे लोगों के टैक्स के पैसों से लोकसभा का समय खराब कर रहे हैं। जबकि इस समय पर अहम मुद्दों पर बात होनी चाहिए थी।”

ध्रुव राठी ने किया रिएक्ट

ध्रुव राठी के एक्स हैंडल पर विशाल ददलानी के वीडियो को शेयर करते हुए लिखा गया है, “बॉलीवुड गायक विशाल ददलानी ने संसद में 8 दिसंबर को ‘वंदे मातरम’ पर हुई 10 घंटे लंबी बहस पर नाराजगी जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “इस बहस के कारण लगता है जैसे बेरोज़गारी, इंडिगो की समस्या और प्रदूषण (हवा का मुद्दा) सब हल हो गए हैं।” इस तरह उन्होंने सरकार पर तंज कसा।”

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प्रकाश राज ने भी ली चुटकी

ध्रुव राठी के ट्वीट को शेयर करते हुए प्रकाश राज ने लिखा, “गोभी है तो कद्दू है।” उन्होंने ऐसा क्यों लिखा इसका तो पता नहीं चल पाया, लेकिन तमाम लोगों ने इसपर कमेंट किया है। दीपा मुखर्जी नाम की यूजर ने लिखा, “आप जहां भी बीजेपी के खिलाफ वीडियो देखते हैं तुरंत उसे शेयर करने लग जाते हैं। लेकिन भारत तभी सच में धर्मनिरपेक्ष कहलाएगा जब हर कोई देश के सम्मान के प्रति एक जैसी सोच रखेगा। अगर किसी को वंदे मातरम कहने या भारत माता की जय कहना ही स्वीकार नहीं तो ऐसे धर्मनिरपेक्षता का कोई अर्थ नहीं रह जाता।”

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क्यों हुई बहस?

पीएम मोदी ने कहा था कि यह गीत आजादी के आंदोलन में भारतीयों की आवाज बना था लेकिन 1937 में इस गीत के साथ छेड़छाड़ हुई। इस बात के जरिए पीएम ने विपक्ष पर निशाना साधा और बहस होती चली गई।