एक्टर विक्की कौशल की फिल्म ‘सरदार ऊधम’ की स्ट्रीमिंग 16 अक्टूबर से अमेज़न प्राइम पर शुरू हो गई है। इस फिल्म को शुजित सरकार ने डायरेक्ट किया है। फिल्म को लेकर लोग अलग-अलग तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने भी फिल्म पर टिप्पणी की है। इस बहाने वाले सावरकर को लेकर जारी विवाद का भी जिक्र किया है।
आशुतोष ने ट्वीट में लिखा, ‘सावरकर को महान क्रांतिकारी मानने वालों को सलाह- देखो सरदार ऊधम। शुजित सरकार की फिल्म। क्रांतिकारी अंग्रेजों से माफी नहीं मांगते थे। फांसी के फंदे को चूम लेते थे। अपने किए के लिए पश्चाताप नहीं करते थे और अंग्रेजी सरकार की ताउम्र मदद करने का वादा नहीं करते थे।’
फिल्ममेकर विनोद कापड़ी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘सरदार ऊधम देखने से बचने की सलाह। तमाम फर्जी राष्ट्रवादियों को झटका लग सकता है। दिल का दौरा भी पड़ सकता है। पक्षाघात की भी आशंका है। क्योंकि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक भी फ़र्ज़ी राष्ट्रवादी का ना कोई योगदान, ना ज़िक्र, कम्युनिस्ट/कांग्रेसी ही लड़ते-मरते रहे।’
यूजर्स की प्रतिक्रिया: आशुतोष के ट्वीट पर तमाम यूजर्स भी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। रोहित कुमार नाम के यूजर लिखते हैं, ‘अगर सच में सावकर देशद्रोही थे तो इंदिरा गांधी ने उनके नाम पर डाक टिकट क्यों जारी किया था?’ एक अन्य यूजर लिखते हैं, ‘काला पानी में पहले रहकर तो देखो। उन्होंने तो सालों उस सजा को भुगता, बस तुम कुछ दिन तो गुजारकर दिखाओ।’ नरेंद्र कुमार नाम के यूजर लिखते हैं, ‘ये तो सोचने वाली बात है अगर उन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया था तो उन्हें जेल में क्यों डाला गया था?’
अभिमन्यु नाम के यूजर लिखते हैं, ‘सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रवादी नहीं थे। अपनी पार्टी बनाई और कांग्रेस का विरोध भी किया। आप भी विरोध करिए। लेकिन आप ऐसा बिल्कुल नहीं कर सकते क्योंकि आप तो झूठा एजेंडा फैलाना चाहते हैं।’
आनंद कुमार नाम के यूजर लिखते हैं, ‘1942-47 के बीच भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दस हजार से भी ज्यादा लोग शहीद हुए थे। इनमें से कितने लोग कांग्रेसी या कम्युनिस्ट थे?’ अमित तिवारी नाम के यूजर लिखते हैं, ‘भारत में फिर सरदार ऊधम सिंह की कहानी पर्दे पर उतारने में इतना समय क्यों लगा दिया? इतिहास में भी उनके नाम सिर्फ 2 लाइनें ही हैं।’