फिल्म इंडस्ट्री एक ऐसी जगह है जहां पर न तो कभी कलाकार पुराने होते हैं और न ही उनकी अभिनीत प्रदर्शित फिल्में। यही वजह है कि जिस तरह पुराने कलाकार दिलीप कुमार, देव आनंद, राज कुमार आज भी दर्शकों के जेहन में हैं, उसी तरह उनकी अभिनीत फिल्मों को आज भी दर्शक सराहते हैं। हॉलीवुड हो या बॉलीवुड, कुछ फिल्में ऐसी हैं, जो सदाबहार हैं और दर्शकों के दिमाग से कभी भी नहीं निकलीं। फिर चाहे वे प्रेम कथाएं फिल्म ‘टाइटैनिक’ या ‘स्पाइडरमैन’ हों या बॉलीवुड में ‘मुगल-ए-आजम’, ‘शोले’ व ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ ही क्यों न हों? दर्शकों का पुरानी फिल्मों की तरफ झुकाव देखते हुए हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक और बॉलीवुड से लेकर दक्षिण तक एक बार फिर पुरानी फिल्मों को प्रदर्शित करने का चलन जोरों पर है।
इसी चलन के कारण हाल ही में सनी देओल और अमीषा पटेल अभिनीत फिल्म ‘गदर एक प्रेम कथा’ को फिर से सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया गया। इसके लिए दर्शकों के लिए खास स्क्रीनिंग रखी गई जिसमें कम टिकट के साथ सपरिवार फिल्म को देखने के लिए आमंत्रित किया गया, ताकि नई पीढ़ी भी इस फिल्म को देख सके। इसे प्रदर्शित करने के पीछे खास वजह यह भी है कि फिल्म की कड़ी ‘गदर 2’ अगस्त में सिनेमाघरों में आने वाली है। इससे पहले भी कई पुरानी सफल फिल्मों को नए अंदाज में पेश किया गया है, जिसका फायदा भी निर्माताओं को मिल रहा है। जैसे कि फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ को 2004 में रंगीन फिल्म के रूप में पेश किया गया था।
इसी तरह दिलीप कुमार की फिल्म ‘नया दौर’ भी जो कि एक जमाने में ‘श्वेत-श्याम’ प्रदर्शित हुई थी उसे भी रंगीन पर्दे पर पेश किया गया। ‘शोले’ को भी 3डी में प्रदर्शित किया गया। सिर्फ हॉलीवुड और बॉलीवुड में ही नहीं बल्कि दक्षिण में भी कामयाब फिल्मों को फिर से प्रदर्शित करने का चलन जारी है। जैसे कि राजामौली की ‘सिम्हाद्री’ को मई में जूनियर एनटीआर के जन्मदिन पर फिर से दिखाया गया। इस फिल्म के अलावा भी तेलुगू और साउथ की अन्य भाषाओं की कई फिल्में फिर से प्रदर्शित करने की तैयारी जारी है।
फिल्म ‘पठान’ की सफलता को भुनाने के चक्कर में जब यशराज बैनर ने शाहरुख के जन्मदिन पर ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ फिर से कुछ सिनेमाघरों में प्रदर्शित की तो इसे एक दिन में 25 लाख का फायदा हुआ। इस फिल्म को देखने के लिए भी दर्शक सिनेमाघरों में उमड़ पड़े थे। ऐसे में कहना गलत न होगा कि बॉलीवुड सितारों और उनकी फिल्मों का चलन प्रशंसकों के सिर चढ़कर बोलता है। ऐसे में अगर आपका कोई पसंदीदा कलाकार, जो दुनिया को अलविदा कह गया हो, उसकी कोई फिल्म प्रदर्शित हो जाए तो दर्शकों का थियेटर तक जाना लाजमी हो जाएगा।
इसी कारण सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म ‘एमएस धोनी अनटोल्ड स्टोरी’ और ‘केदारनाथ’ जब थियेटर में फिर से लगीं तो इन्हें दर्शकों ने हाथों हाथ लिया। इसी तरह श्रीदेवी की फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिश’ जो कि 2012 में बनी थी, इस फिल्म को भारत में ही नहीं, चीन के सिनेमाघरों में भी रिलीज किया गया तो फिल्म को बहुत पसंद किया गया। सूत्रों के अनुसार, कई और बेहतरीन फिल्में जैसे ‘मेरा नाम जोकर’, सारांश, पीकू, कहानी, फायर, बर्फी, कटी पतंग, और वीरजारा को भी थियेटर्स में फिर से प्रदर्शित करने की कोशिश जारी है ताकि भविष्य में इनमें से कुछ फिल्मों की कड़ियां भी बन सकें।
आरती सक्सेना