आरती सक्‍सेना

फिल्मोद्योग के हर दौर में महिलाओं ने अपनी जगह बनाए रखी। एकदम शुरुआती दौर की देविका रानी (जिन्हें हिंदी सिनेमा की पहली ‘पटरानी’ कहा गया), वैजयंती माला, नरगिस, हेमा मालिनी, श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित से लेकर दीपिका पादुकोण जैसी अभिनेत्रियों ने फिल्मी दुनिया में अपना दबदबा बनाया। आज की अभिनेत्रियां अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रही हैं। वे अभिनय के अलावा टीवी शो की प्रस्तोता हैं। टीवी शो में जज के रूप में दिखाई दे रही हैं। फिल्में बना रही हैं, गाने गा रही हैं। अभिनेत्रियां अब अभिनय के आसमान को पीछे छोड़कर ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार हैं।

आज प्रियंका चोपड़ा अपनी क्षमताओं का विस्तार कर हालीवुड में नाम कमा रही हैं। वे अभिनय के अलावा फिल्म निर्माण और गायन में भी सक्रिय हैं। प्रियंका ने कोरोना महामारी के दौरान भारत के लिए फंड जुटाया। प्रियंका की तरह ऐश्वर्या राय और सुष्मिता सेन ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रियता हासिल की।

54 साल की उम्र में माधुरी दीक्षित उत्साह से काम कर रही हैं। जहां एक ओर वह ‘डांस दीवाने जूनियर’ में बतौर जज छोटे परदे पर धमाल मचा रही हैं, वहीं अपना शो ‘द फेम गेम’ लेकर भी आ रही हैं। शिल्पा शेट्टी ने अभिनय की दुनिया में नाम कमाने के बाद योग और फिटनेस वीडियो के जरिए दर्शकों तक पहुंचकर लोकप्रियता को बरकरार रखा। माधुरी दीक्षित की तरह ही शिल्पा शेट्टी भी अपनी मोहक मुस्कान और मस्ती भरे अंदाज को लेकर चर्चा में बनी रहती हैं। योग और फिटनेस के अलावा शिल्पा ‘सुपर डांसर’ और ‘इंडियाज गाट टैलेंट’ में बतौर जज दिखाई देती हैं।

बागडोर बेगम के हाथ

इससे पहले कि लोग कंगना रनौत की अदाकारी से बाहर निकलें कंगना फिल्मजगत में निर्माता बनी नजर आने लगीं। अक्सर मुखर रहने वाली कंगना जहां एक ओर ‘तेजस’ और ‘धाकड़’ जैसी फिल्में कर रही हैं, वहीं उन्हें एकता कपूर ने नया शो ‘लाक अप’ सौंपा है। बालीवड अभिनेत्रियों को अपनी क्षमताओं के विस्तार के जितने मौके इन दिनों दे रहा है, उतने मौके इससे पहले कभी अभिनेत्रियों को नहीं मिले।

आलिया भट्ट को ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ में देखकर दर्शक उन पर लट््टू हो रहे हैं और उधर आलिया भट्ट ने खुद की प्रोडक्शन कंपनी खोलकर फिल्में बनानी शुरू कर दीं। बतौर निर्माता अनुष्का शर्मा ‘एनएच 10’ बनाती हैं, तो दीपिका पादुकोण तेजाब हमले पर ‘छपाक’। दीपिका पादुकोण, कैटरीना कैफ, भूमि पेडणेकर, कृति सेनन जैसी अभिनेत्रियों को ध्यान में रखकर कहानियां लिखी जा रही हैं। इस कारण फिल्मों का स्वरूप बदल रहा है। अभिनेत्रियां सशक्त और चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं निभाने में पुरुषों से कहीं भी पीछे नजर नहीं आ रही हैं।

महिला सशक्तिकरण का मतलब

माधुरी दीक्षित के अनुसार औरत और ज्यादा मजबूत और सम्मानीय तभी बन सकती हैं जब कि वह शिक्षित हो। मराठी में कहा जाता है ‘मुलगी शिकली, प्रगति झाली’। वहीं दूसरी ओर आलिया भट्ट का मानना है कि हमें अपना वर्चस्व दिखाने के लिए चीखने चिल्लाने की जरूरत नही है। शांत रह कर भी हम अपनी काबलियत और मजबूती दिखा सकते हैं।

तब्बू का भी मानना है कि हम अपनी तकदीर नहीं बदल सकते लेकिन मेहनत और ईमानदारी से काम करके अपनी तकदीर संवार जरूर सकते हैं। मुझे महिला होने पर गर्व हैं। करीना कपूर के अनुसार मैंने अपने आपको कभी कमजोर नहीं समझा क्योंकि मैं हार-जीत को इतना महत्व नहीं देती कि मैं अगर हार गई तो अपने आप को कमजोर समझने लगूं और अगर जीतने पर खुद को महान। करीना के विपरीत दीपिका का मानना है कि हम जिस समाज में रहते हैं वहां कदम-कदम पर औरत को कमजोर और नीचा दिखाने की कोशिश की जाती हैं लेकिन कामयाब वही होता है, जिसका विश्वास मजबूत होता है।