ओटीटी पर नई वेब शृंखलाओं के इंतजार से अधिक अब सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो चुकी फिल्मों की प्रतीक्षा दर्शकों को रहा करती है। बड़े पर्दे पर फिल्म देखने की मानसिकता नहीं बना पाने वाले लोगों के लिए चर्चित फिल्म सलाम वेंकी अब ओटीटी पर उपलब्ध है। बिहार के जेल तोड़ो प्रकरण पर जहानाबाद नाम से और जांबाज हिंदुस्तान के शीर्षक से, सच्ची घटनाओं पर आधारित दो वेब शृंखलाएं भी ओटीटी पर चर्चा में बनी हुर्इं हैं।
‘जांबाज हिंदुस्तान के’ : सच्ची घटना पर एक और प्रस्तुति
कर्तव्य के दौरान शहीद हो जाने वाले भारतीय पुलिस अधिकारियों को लेकर जांबाज नाम से वेब शृंखला पूर्व में देखी जा चुकी है। जी फाइव पर हाल ही की शृंखला जांबाज हिंदुस्तान के इसी की अगली कड़ी बतौर देखी जा रही है। मेघालय में पदस्थ महिला पुलिस अधिकारी से जुड़ी कहानी में, उनकी वहां के आतंकवादियों से मुठभेड़ के अलावा निजी जीवन के पहलुओं को भी उकेरा गया है। निर्देशक श्रीजित मुखर्जी शाबाश मिट्ठू और शेरदिल फिल्मों के अलावा ओटीटी पर वेब शृंखला से तारीफ हासिल कर चुके हैं। लेकिन जांबाज हिंदुस्तान के इस सिलसिले की एक कमजोर शृंखला कई मामलों में कही जा सकती है।
जहानाबाद : प्रेमकथा या नक्सलियों के बदले की कहानी
लगभग डेढ़ से दो दशक पहले बिहार के जहानाबाद में नक्सलियों द्वारा अपने साथियों को छुड़ाने की गर्ज से जेल पर किए हमले की घटना ने तत्कालीन सरकार और प्रशासन को हिला कर रख दिया था। सोनी लिव पर विगत सप्ताह प्रदर्शित शृंखला जहानाबाद : आफ लव एंड वार की कहानी इसी कांड पर आधारित मानी जा सकती है। जहानाबाद के एक महाविद्यालय में नए आए प्राध्यापक और जेल में केंटीन चलाने वाले शख्स की बेटी के बीच पनपते प्यार से शुरू हुई पटकथा का अंजाम जेल पर नक्सली हमले और उनके साथियों की रिहाई के साथ होता है।
सलाम वेंकी : भावना में बहाने वाली प्रेरक कहानी
कुछ माह पहले देश के चुने हुए कुछ ही सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई फ़िल्म सलाम वेंकी दर्शकों से अधिक फिल्म समीक्षकों की प्रशंसा हासिल कर चुकी थी। ओटीटी पर प्रतिक्षित ये फिल्म जी फाइव इसी सप्ताह लेकर आया। एक खास किस्म की बीमारी के कारण मौत से जूझता हुआ दक्षिण भारतीय युवक वेंकट उर्फ वेंकी इच्छामृत्यु की मांग के साथ अंगदान की आकांक्षा जाहिर करता है।
अस्पताल में इलाज के दौरान अपनी मां के साथ उसके संवाद दर्शकों को भावुक करने के लिए पर्याप्त रहे हैं। कठिन परिस्थिति में भी खुद पर संयम रखते हुए, अपनी तरह के लाखों मरीजों के लिए प्रेरणा साबित होता हुआ वेंकी का किरदार वाकई जबरदस्त साबित हुआ है। लेखक श्रीकांत मूर्ति के उपन्यास द लास्ट हुर्रे पर आधारित पटकथा शतरंज खिलाड़ी कोलावनु वेंकटेश की वास्तविक कहानी बयां करती है।
(राजीव सक्सेना)