बच्चन और नेहरू-गांधी परिवार की दोस्ती इलाहाबाद के दिनों की थी। पहली दफा सरोजिनी नायडू ने हरिवंश राय बच्चन और उनकी पत्नी तेजी बच्चन को आनंद भवन में आमंत्रित किया था। इसके बाद दोस्ती और प्रगाढ़ होती गई। खासकर तेजी बच्चन और इंदिरा गांधी काफी करीब आ गए। तब एक इंटरव्यू में अमिताभ बच्चन के पिता और मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन ने कहा था कि हमारी दोस्ती पर्सनल है, न कि पॉलिटिकल और हम हर सुख-दुख में साथ खड़े हैं।
हुआ भी कुछ ऐसा ही। इलाहाबाद की दोस्ती दिल्ली तक जारी रही। यहां भी गांधी-नेहरू परिवार और बच्चन परिवार में उसी तरह मेल- मुलाकात का सिलसिला जारी रहा। खासकर राजीव गांधी और अमिताभ की दोस्ती की चर्चा सियासी गलियारों में भी होने लगी थी।
तब हरिवंश राय बच्चन अपने परिवार के साथ दिल्ली के गुलमोहर पार्क इलाके में रहा करते थे। जो काफी पॉश इलाका माना जाता है। उनके पड़ोसी भी जानते थे कि बच्चन परिवार की किस तरह नेहरू-गांधी परिवार से दोस्ती है। क्योंकि एक-दूसरे के घर आना-जाना लगा रहा था।
मिला दिया PM को फोन: ऐसे ही एक वाकये का जिक्र वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई ने अपनी किताब ‘नेता-अभिनेता: बॉलीवुड स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स’ में करते हुए लिखा है कि एक शाम बच्चन परिवार के घर पार्टी चल रही थी। अचानक पूरे इलाके की बिजली चली गई। कुछ वक्त इंतजार किया, जब बिजली नहीं आई तो तेजी बच्चन परेशान हो गईं।
उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को फोन मिला दिया जो उनकी करीबी दोस्त भी थीं। किदवई लिखते हैं कि बड़ी तकनीकी खराबी के बावजूद 35 मिनट के अंदर पूरे इलाके की बिजली रिस्टोर हो गई।
मां के तौर पर खड़ी थीं सोनिया के साथ: सोनिया गांधी जब पहली बार राजीव गांधी की मंगेतर के तौर पर दिल्ली आईं तो खुद अमिताभ उन्हें लेने एयरपोर्ट पर गए थे। उन्हें बच्चन परिवार के घर ही ठहराया गया और तेजी बच्चन ने एक मां की तरह सारी औपचारिकताएं पूरी की थीं।
आपको बता दें कि हरिवंश राय बच्चन राज्यसभा के सदस्य रहे। बाद में राजीव गांधी के कहने पर अमिताभ बच्चन ने भी चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हालांकि बोफोर्स कांड में अमिताभ और उनके भाई अजिताभ का नाम उछला तो उन्होंने धीरे-धीरे राजनीति से दूरी बना ली और फिर पूरी तरह दूर हो गए।