बॉलीवुड को इस समय दो चीजों की सख्त जरूरत है, क्योंकि प्रादेशिक फिल्में उसकी बराबरी में आ खड़ी हुर्इं हैं। एक तो उसे तुरंत एक हिट फिल्म चाहिए। ऐसी जो 100-200 करोड़ हफ्ते भर में कमा कर पटक दे और सिनेमाघरों में अक्तूबर से छाए सन्नाटे को छन्न से तोड़ दे। बॉलीवुड के निर्माता इसकी ईजाद में लगे हैं और हमें बता रहे हैं कि ईजाद के नतीजे ईद तक आ जाएंगे, जब भाईजान अपनी फिल्म ‘राधे’ सिनेमाघरों में उतारेंगे।
सिनेमाघर मालिकों ने भी हलवाइयों को लड््डू-बताशों का आॅर्डर दे रखा है। जैसे ही ‘राधे’ तीन-चार दिन में सौ करोड़ी होगी, गेंदे के फूल से सजाए सिनेमाघरों में मिठाई बांट दी जाएगी और एलान कर दिया जाएगा कि बॉलीवुड के अच्छे दिन आ गए।
बॉलीवुड की दूसरी सख्त जरूरत है किसी ऐसे कारोबारी की, जिसके पास अकूत दौलत हो और जो उसे फिल्मों पर फूंकने के लिए तैयार बैठा हो। मतलब जो आसानी से किसी एक फिल्म पर 500-1000 करोड़ रुपया लगा दे और उसे दिल का दौरा न पड़े। बॉलीवुड के लिए तो अब इतने तगड़े कारोबारी की ही जरूरत है क्योंकि दक्षिण के फिल्म निर्माता पांच-पांच सौ करोड़ की फिल्में बनाने लगे हैं।
इधर बॉलीवुड के निर्माता 200-300 करोड़ से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। आखिर भारतीय फिल्मजगत में बॉलीवुड ‘फ्लैगशिप इंडस्ट्री’ है। वह भारतीय फिल्मजगत की नाक है। फिलहाल जुकाम से नाक जरा सुन्न पड़ी है। उसे झंडू बाम की जरूरत है। यह नाक अभी तक तो आमिर खान ने संभाल रखी है। इसलिए कि देश की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म ‘दंगल’ (2016) उनके नाम है, जिसने 2000 करोड़ से ज्यादा का धंधा किया है। मगर 1800 करोड़ से ज्यादा कमा कर ‘दंगल’ से बस अंगुल भर पीछे है ‘बाहुबली’। ऐसे में बॉलीवुड को सिर्फ आमिर खान के भरोसे नहीं बैठना चाहिए।
दक्षिण की प्रादेशिक फिल्मों के लिए कॉरपोरेट कंपनियों ने थैलियां खोल दी हैं। लोकप्रिय सितारों को लेकर बनने वाली दक्षिण भारतीय फिल्मों का बजट 500 करोड़ से ऊपर पहुंच गया है और अभी तक बॉलीवुड में 500 करोड़ बजट की कोई फिल्म तक नहीं बनी है जबकि तमिल फिल्म इंडस्ट्री 2018 में ही 570 करोड़ की रजनीकांत की ‘2.0’ रिलीज कर चुकी है।
ब्रिटिश-श्रीलंकाई मूल के व्यापारी सुबासकरन की कंपनी लायका प्रोडक्शंस ने इसमें पैसा लगाया था। यही लायका इस समय मणि रत्नम से 400-500 करोड़ की ‘पोन्निइन सेल्वम’ बनवा रही है। ‘बाहुबली’ बनाने वाले तेलुगु फिल्म निर्देशक एसएस राजमौली इस समय ‘आरआरआर’ नामक फिल्म लगभग 400 करोड़ के बजट में बना रहे हैं। दूसरी ओर बॉलीवुड में अभी भी फिल्मों का बजट 200-300 करोड़ के आसपास घूम रहा है। मसलन ‘ठग्स आॅफ हिंदुस्तान’, ‘पद््मावत’, ‘टाइगर जिंदा है’, ‘जीरो’ 200 करोड़ के बजट में बनी हैं।
बॉलीवुड को बॉक्स आॅफिस पर भी चुनौती मिल रही है। 13 जनवरी को रिलीज तमिल फिल्म ‘मास्टर’ अब तक 200 करोड़ से ऊपर कमा चुकी है और बॉलीवुड में अक्तूबर से अब तक कोई फिल्म सौ करोड़ी क्लब में भी शामिल नहीं हो पाई है। यह बॉलीवुड के लिए अच्छे संकेत नहीं है।