राजीव सक्सेना
स्टार प्लस, कलर्स, ज़ी टीवी, सोनी और सब टीवी के साथ सरकारी चैनल दूरदर्शन की बची-खुची दर्शक संख्या का भी क्रमश: इसके धारावाहिकों से मोहभंग होता दिखाई दे रहा है।
कुल जमा 12 लोकप्रिय मनोरंजन चैनल ओटीटी प्लेटफार्म अमेज़ान प्राइम, एमएक्स प्लेयर, जिओ, वूट, ज़ी फाइव आदि के माध्यम से अपने टीवी धारावाहिकों, रियलिटी शो अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुंचाने के भगीरथ प्रयास में जुटे हुए हैं, लेकिन दूरदर्शन अपने सरकारी दायरे और मर्यादा के कारण इन ओटीटी मंच का उपयोग नहीं कर पा रहा, लिहाजा इसके अपने मर्यादित धारावाहिक दर्शकों की बाट जोहते नज़र आ रहे हैं।
1982 के एशियाई खेलों के साथ, टेलीविजन के प्रथम नेशनल सरकारी चैनल ’दूरदर्शन’ की रार्ष्ट्रीय स्तर पर आमद बेहद धमाकेदार हुई थी….तमाम तरह की कलुषता से दूर… एंटीना के ज़रिए घर के भीतर विशुद्ध मनोरंजन और जानकारियां पहुंचाता छोटा पर्दा…अचानक सिनेमा के 70 एमएम के सेल्यूलाइडी बड़े पर्दे से कहीं ज्यादा ही लोकप्रियता हासिल करने लगा था। हम लोग, रामायण, महाभारत, तमस..बुनियाद..नुक्कड़… मनोरंजन… ये जो है जिंदगी..तेनाली राम, मालगुड़ी डेज … भारत एक खोज..कथासागर जैसे बेहद लोकप्रिय हो चुके थे।
बासु चटर्जी जैसे वरिष्ठ फ़िल्मकार एक दबंग महिला चरित्र के साथ रजनी लेकर आए… दिवंगत प्रिया तेंदुलकर ने व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ मुखर करने वाली महिला की भूमिका को सार्थक किया। कुछ समय बाद तकरीबन इसी थीम पर कविता चौधरी… बिंदास पुलिस अधिकारी के किरदार में अवतरित हुर्इं..उड़ान नामक श्रृंखला में। नारी सशक्तिकरण का पहला दौर तो संभवत: छोटे पर्दे पर ही आगाज़ कर चुका था।
ओटीटी के तमाम मंचों पर, मनोरंजन के तमाम चैनलों के अब तक के लगभग सारे धारावाहिकों से कहीं चार कदम आगे जाकर कथानक, अभिनय, छायांकन, स्थान और तकनीकी गुणवत्ता के कीर्तिमान बनाते हुए तीन साल में निजी निर्माताओं की एक पूरी फौज को ही नहीं दर्शकों को भी अपनी तरफ आकर्षित करने में सफलता हासिल की है। जी टीवी, कलर्स सरीखे निजी टीवी चैनल भी स्वयं ओटीटी की तरफ विमुख हुए और समांतर तौर पर जी फाइव, वूट जैसे चैनल शुरू कर लोकप्रियता की मुख्यधारा से जुड़ गए।
दूरदर्शन, ओटीटी चैनल की माब लिंचिंग का शिकार हो, अपने अस्तित्व की तलाश में उपेक्षा का सामना कर रहा है। समय रहते दूरदर्शन के आकाओं, प्रसार भारती बोर्ड को, कार्यक्रमों में आवश्यक सुधार, रियलिटी शोज पर जोर देने और अन्य लोकप्रिय मंच पर इसकी उपलब्धता की दिशा में संजीदगी से विचार करना होगा।