क्या गुजरेगी उस शख्स पर और उसके परिवार पर जिसने सारा वैज्ञानिक अनुसंधान देश के लिए किया हो और उसको इस झूठे आरोप में गिरफ्तार किया जाए कि वो देशद्रोही है? इसी और ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब आपको राकेट्री : द नंबी इफेक्ट, में मिलेंगे जो अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायण के जीवन पर बनी है। नंबी नारायण को लगभग 28 साल पहले इस आरोप में गिरफ्तार किया गया था कि वे इसरो (इंडियन स्पेश रिसर्च आर्गनाइजेशन) से जुड़ी गोपनीय जानकारियां पाकिस्तान को दे रहे हैं। लंबे समय तक चले मुकदमे के बाद उनको बाइज्जत बरी किया गया।
ये फिल्म नंबी नारायण के वैज्ञानिक बनने की गाथा है और उन पर लगे झूठे आरोपों की वजह से उनको और उनके परिवार को जिस शारीरिक और मानसिक क्लेश से गुजरना पड़ा उसकी कहानी भी। इसके मुख्य किरदार तो आर माधवन है जिन्होंने नंबी नारायण की भूमिका निभाई है। वहीं इस फिल्म के निर्देशक और लेखक भी हैं। माधवन के लिए ये सब कुछ निष्ठा और सत्य की खोज की तरह रहा और इसे पूरा करने में उनको कई साल लगे। अपने अभिनय को प्रामाणिक बनाने के लिए उन्होंने अपने कुछ दांत भी तुड़वाए ताकि वे वृद्ध नंबी नारायण की भूमिका में भी सहज लगें।
शाहरुख खान ने इन फिल्म में किरदार नंबी नारायण का इंटरव्यू लिया है और इसी इंटरव्यू के माध्यम से सारी कहानी फ्लैशबैक के माध्यम से सामने आती है। फिल्म ये भी दिखाती है भारत के अंतरिक्ष विज्ञान के विकास में हमारे वैज्ञानिकों ने किस लगन और देश प्रेम के साथ काम किया है। नंबी नारायण और उनके जैसे कई वैज्ञानिक चाहते तो आराम से अमेरिका जाकर करोड़ों-अरबों कमाते और वहां के अंतरिक्ष विज्ञान को समृद्ध करते। ऐसे लोगों के कारण ही देश इस विज्ञान में तरक्की कर सका पर क्या देश के लोग इसके बारे में जानते हैं?
राकेट्री : द नंबी इफैक्ट मनोरंजन केंद्रित फिल्म नहीं है लेकिन पर्याप्त मनोरंजन भी करती है। कोई ऐसा क्षण इस फिल्म में नहीं जो दर्शक को बांधे न रखे। चाहे अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्वालय में नंबी नारायण के शोध वाला हिस्सा हो या बिखरते सोवियत संघ और आज के रूस से क्रायोजेनिक इंजन ठेठ जेम्सबांडीय शैली में भारत लाने का। लेकिन दर्शक की आंख में आंसू तब आते हैं जब नंबी नारायण की पत्नी (सिमरन) को सदमे की वजह से मनोवैज्ञानिक दौरे पड़ने लगते हैं।