Thackeray Movie Review and Rating: इस फिल्म को दो तरीके से देखा जाना चाहिए। एक तो शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की जीवनी के रूप में। सवाल है कि ठाकरे की बायोपिक क्यों बनाई गई है? फिल्म के निर्माता के रूप में शिवसेना के नेता संजय राउत और उनके परिवार के सदस्यों के नाम हैं। इसलिए यह फिल्म शिवसेना की योजना के तहत बनी है। योजना क्या है? अनुमान लगाया जा सकता है। और यह कि लोकसभा चुनाव के पहले शिवसेना महाराष्ट्र की जनता को ये दिखाना चाहती है कि महाराष्ट्र में मराठी माणूस की आवाज सबसे पहले बाल ठाकरे ने उठाई। और सिर्फ मराठी माणूस का समर्थक ही नहीं। बल्कि हिंदुओं का रक्षक भी।
फिल्म शुरू है होती है बाबरी मस्जिद के विध्वंस का जिम्मेदार मानते हुए बाल ठाकरे को अदालत बुलाए जाने से। उसके बाद पूरी फिल्म फ्लैशबैक में चलती है, जिसमें कार्टूनिस्ट ठाकरे का नेता ठाकरे के रूप में उदय होता है। क्या शिवसेना यह भी दिखाना चाहती है कि हिंदुत्व की असली झंडाबरदार भी वही है? सीधे-सीधे तो नहीं लेकिन परोक्ष रूप से यह फिल्म भाजपा को एक चुनौती है। 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के वक्त भी ठाकरे ने कहा था यह विध्वंस शिवसैनिकों ने किया था। हाल में उद्धव ठाकरे भी राम मंदिर बनाने की मांग को लेकर अयोध्या गए थे। दूसरे स्तर पर फिल्म नवाजुद्दीन सिद्दिकी की अच्छी भूमिका के रूप में देखी जाएगी। ठाकरे के व्यक्तित्व को उन्होंने झाड़पोंछ कर पेश किया है। ठाकरे की पत्नी मीना ठाकरे की भूमिका में अमृता राव एक साधारण गृहिणी लगी हैं।
निर्देशक- अभिजित पानसे
कलाकार-नवाजुद्दीन सिद्दिकी, अमृता राव