लगता है आजकल कश्मीर का मामला उठाना हिंदी या भारतीय फिल्मों में व्यावसायिक सफलता की गारंटी माना जा रहा है। ‘कश्मीर फाइल्स’ की अप्रत्याशित सफलता ने भी ऐसा कर दिया है। शायद इसी कारण शशि किरण टिक्का ने 2008 में मुंबई में ताज होटल पर हुए पाकिस्तानी आतंकवादियों के हमले के दौरान मारे गए फौजी मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘मेजर’ में भी कश्मीर का तड़का लगा दिया है।

फिल्म की शुरूआत और अंत में भी उन्नीकृष्णन को पाक अधिकृत कश्मीर में घूमते- खेलते दिखाया गया है। ये सब शायद इस वजह से कि बाक्स आफिस पर इस फिल्म का मुकाबला ‘सम्राट पृथ्वीराज’ से है। दर्शक को अब यह तय करना होगा कि कौन बड़ा वीर है, संदीप उन्नीकृष्णन या पृथ्वीराज? वैसे यह फिल्म हिंदी और तेलगु में बनी है।

बेशक मेजर’ वीरता की कहानी है। निर्देशक टिक्का ने संदीप उन्नीकृष्णन (अद्वि शेष) को ऐसा बहादुर इनसान दिखाया है, जो फौज में जाने के पहले भी दूसरों के लिए मरने- मारने को तैयार रहता है। हालांकि उसके माता-पिता से लेकर प्रेमिका तक कहती रहती थी कि ऐसा मत करो। फौज में जाने के बाद वह अपनी पत्नी इशा (सई मांजरेकर), जो कभी उसकी प्रेमिका रह चुकी है, के लिए भी समय नहीं निकाल पाता।

बात दोनों के बीच तलाक तक पहुंच जाती है। लेकिन संदीप अपने आप को सच्चा फौजी साबित करने के लिए आतंक के शिकार ताज होटल पहुंच जाता है। हालांकि शुरू में उसकी ड्यूटी वहां नहीं लगाई थी लेकिन वह अपने वरिष्ठ अधिकारियों से आग्रह करके वहां जाता है। वहां फंसी एक बच्ची और एक औरत को बचाने के सिलसिले में उसकी जान चली जाती है।

बतौर संदीप अभिनेता अद्वि शेष का भावों से भरा चेहरा दर्शकों को हमेशा अपने साथ जोड़े रखता है। सई मांजरेकर शुरूआती दृश्यों में आकर्षक लगती हैं। खासकर रोमांटिक दृश्यों में। उनकी भूमिका छोटी है। संदीप के पिता के रूप में प्रकाश राज की भूमिका भी दिल को छूती है। ‘मेजर’ किसी युद्ध नहीं बल्कि एक सैनिक के आत्म बलिदान की कहानी है।