फैसल खान सुपर स्टार हीरो आमिर खान के भाई हैं और ‘मेला’ फिल्म में एक अच्छा- सा किरदार भी उन्होंने निभाया था। लेकिन इसके बाद भी और आमिर खान के भाई होने के बावजूद वे फिल्मी दुनिया में पिछड़ गए। पर एक फिल्मी परिवार से जुड़े होने की वजह से स्टार बनने का हुड़ुक उनके भीतर शायद बरकरार रहा और इसी को मिटाने के लिए उन्होंने एक फिल्म भी बना डाली ‘फैक्टरी’।  

हालांकि उनमें आमिर खान का प्रतिभा का सौवां हिस्सा भी नहीं है। कम से कम इस फिल्म को देखने से तो यही लगता है। साथ ही यहां ये भी जोड़ना जरूरी है कि आमिर खान से उनका पंगा भी होता है और उन्होंने अपने भाई पर कई आरोप भी लगाए हैं। ‘फैक्टरी’ एक साइको हास्य ड्रामा है। इसमें यश (फैसल) नाम का एक वनस्पति विज्ञानी है जो एक साथी शोधार्थी महिला वैज्ञानिक पर फिदा हो जाता है और इतना कि उसे अगवा कर लेता है और अपनी एक फैक्टरी में उसे बंधक बनाकर रखता है।

यश एक साइको लवर है यानी आम भाषा में कहें तो सामान्य प्रेमी नहीं जुनूनी शख्स है। वो चाहता है लड़की उसकी हो जाए और इसके लिए वो गाता है, नाचता है, उसे डराता है। आदि आदि। इस सबका क्या असर होता है यही है ‘फैक्टरी’ की कहानी है। फैसल खान इसमें आॅल इन वन हैं यानी निर्देशक हैं, हीरो हैं, गायक हैं और न जाने क्या क्या हैं। पर ये सारे काम वे इतने ढीले ढाले और सुस्त तरीके से करते हैं कि फिल्म की दर्शक पर कहीं भी पकड़ नहीं बनती। अगर फैसल खान ने इसे बनाने के लिए किसी अच्छे निर्देशक को साथ लिया होता तो यही कहानी चुस्त और प्रभावशाली तरीके से बन गई होती। फिल्म में संपादन के स्तर पर भी कई खामियां हैं।