तारक मेहता का उल्टा चश्मा दर्शकों का फेवरेट शो है। यूं तो इस शो में गोकुलधाम सोसाइटी के मेंबर्स एक दूसरे के साथ बहुत प्रेम प्यार से रहते हैं। लेकिन एक बार ऐसा भी हुआ था जब मजाक मजाक में दया भाभी और माधवी आत्माराम तुकाराम भिड़े की बहस हो गई थी। खेल खेल में मामला कब सीरियस हो गया किसी को पता ही नहीं चला।
दरअसल, सोसाइटी की महिला मंडली साथ में किटी पार्टी एंजॉय कर रही थीं। तभी उन्हें चिट गेम खेलने का आइडिया आता है। जिसमें किसी एक को पर्ची उठाकर उस शख्स की एक्टिंग करके दिखानी होती है जिसका नाम उस पर लिखा हो। ऐसे माधवी भाभी एक चिट उठाती है जिसमें जेठालाल का नाम लिखा होता है। इसके बाद माधवी कमर कसती है और दया संग जेठा बन कर उनकी एक्टिंग करने लगती है।
माधवी जेठा बन कर बोलती है- ‘दया दया दया अरे इस टप्पू का क्या करूं मैं? अरे इसकी वजह से उस भिड़े की बातें सुननी पड़ती हैं मुझे। इस पर दया कहती है- आप शांत हो जाइए मैं टप्पू को समझा दूंगी। इस पर जेठा बनकर माधवी बोलती है- अरे पर वो भिड़े को कौन समझाएगा फिर? इस पर दया कहती है हां उनको तो कोई नहीं समझा सकता। ये सुनते ही माधवी चौंकती है और कहती है- हां…?
इसके बाद दया का नंबर आता है। जब दया चिट उठाती है तो उसमें आत्माराम तुकाराम भिड़े का नाम लिखा होता है। अब दया भिड़े बन जाती है और माधवी के साथ एक्ट करने लगती है। दया भिड़े बन कहती है- माधवी ये क्या टप्पू ने फिर से सोड़ी के घर का कांच तोड़ दिया? माधवी कहती है क्या आप भी क्यों उसको टोकते रहते हो आप। दया कहती है- अरे हमारे जमाने में कैसे शिष्टप्रिय बच्चे हुआ करते थे। सुशील, विवेकी, संस्कारी। तभी माधवी कहती है- बस कीजिए। अपने जमाने की बात।
अब दया बनी भिड़े कहती है- अच्छा ये लो ये बच्चों के ट्यूशन की फीस है। पूरे बारह हजार हैं। ये सुनते ही माधवी खुश होने की एक्टिंग करती है। माधवी कहती है- मैं क्या कहती हूं इस बार हम वो सेकिंड हेंड स्कूटर खरीद लेते हैं ना? भिड़े गुस्से में कहता है- मैं यहां एक एक रुपया बचाता हूं तुम खर्च करने की बात कर रही हो।
दया की ये बात माधवी को चुभ जाती है। और वो कहती है- एक मिनट। आप ये बात क्यों कर रही हो। दया भाबी मस्ती में कहती है- अरे मैं भिड़े भाई का रोल कर रही हूं। इस पर माधवी सीरियस हो जाती है और कहती है कि आप भिड़े भाई का रोल नहीं उनका मजाक उड़ा रही हो।दया सफाई देती है कि ऐसा नहीं है वो गलत समझ रही है। लेकिन इसके बाद माधवी किसी की नहीं सुनती।