समय रैना केस की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट का आदेश सामने आया है। कोर्ट ने समय रैना और अन्य कॉमेडियन्स को दिव्यांग लोगों के लिए शो करने का आदेश दिया है साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह रैना और बाकी कंटेंट क्रिएटर्स पर निर्भर है कि वे दिव्यांग व्यक्तियों को अपने कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए राज़ी करें।

जिन लोगों को ये आदेश मिला है उसमें समय रैना के अलावा विपुल गोयल, बलराज परमारजीत सिंह घई, सोनाली ठक्कर, आदित्य देसाई और निशांत जगदीश तंवर। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कंटेंट क्रिएटर समाय रैना और अन्य कॉमेडियनों को आदेश दिया कि वे हर महीने कम से कम दो कार्यक्रम करें, ताकि दिव्यांग व्यक्तियों के इलाज के लिए बनाए गए कोष में मदद के लिए फंड जुटाया जा सके।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की पीठ ने यह आदेश Cure SMA India Foundation द्वारा दायर मामले में दिया। इस याचिका में कहा गया था कि कुछ ऑनलाइन कंटेंट दिव्यांग लोगों के जीवन और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है।

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फाउंडेशन ने समय रैना पर आरोप लगाया था कि उन्होंने Spinal Muscular Atrophy (SMA) के महंगे इलाज को लेकर असंवेदनशील टिप्पणी की और एक दिव्यांग व्यक्ति का मज़ाक उड़ाया। इसी तरह के आरोप अन्य कॉमेडियनों पर भी लगे हैं।

कोर्ट ने देखा कि पिछले आदेशों के अनुसार रैना, विपुल गोयल, बलराज सिंह घई, सोनाली ठक्कर और निशांत तंवर- इन सभी ने फंड जुटाने के लिए कार्यक्रम करने की इच्छा जताई है। उन्होंने यह भी अनुमति मांगी थी कि वे दिव्यांग लोगों की सफल कहानियां अपने प्लेटफॉर्म पर साझा कर सकें।

कोर्ट ने कहा कि यह रैना और अन्य लोगों पर है कि वे दिव्यांग व्यक्तियों को अपने कार्यक्रमों में आने के लिए प्रेरित करें।

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कोर्ट ने आदेश में कहा: “हम यह काम प्रतिवादी नंबर 6 से 10 पर छोड़ते हैं कि वे दिव्यांग व्यक्तियों को अपने प्लेटफॉर्म पर आमंत्रित करें, ताकि फंड जुटाने की इस मुहिम को आगे बढ़ाया जा सके। हमें विश्वास है कि अगर ये लोग सच्ची भावना से उनके कामों को दिखाएंगे, तो वे भी अपने उद्देश्य के व्यापक प्रचार के लिए प्लेटफॉर्म पर आएंगे। हम उम्मीद करते हैं कि अगली सुनवाई से पहले कुछ यादगार कार्यक्रम हो जाएंगे। हर महीने दो कार्यक्रम किए जाएं।”

अगस्त में कोर्ट ने रैना और अन्य को निर्देश दिया था कि वे अपने यू-ट्यूब और अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर दिव्यांगों पर की गई संवेदनहीन टिप्पणियों के लिए माफ़ी मांगें। उन्हें कोर्ट में भी बुलाया गया था।

सुनवाई के दौरान फाउंडेशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने सुझाव दिया था कि कंटेंट क्रिएटर्स दिव्यांग व्यक्तियों के मुद्दों को अपने प्लेटफॉर्म पर उजागर कर सकते हैं। आज उन्होंने इस संबंध में एक नोट भी दिया। उसके आधार पर कोर्ट ने कार्यक्रम आयोजित करने का आदेश पास किया।

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