बॉलीवुड के मशहूर एक्टर सुनील दत्त ने फिल्म ‘रेलवे प्लेटफॉर्म’ से हिंदी सिनेमा में कदम रखा था, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा लोकप्रियता फिल्म ‘मदर इंडिया’ से मिली थी। सुनील दत्त पाकिस्तान के खुर्द के रहने वाले थे, लेकिन आजादी के बाद वह अपने परिवार के साथ भारत आ गए थे। हालांकि आजादी के 50 सालों के बाद वह अपने गांव वापस गए थे। खास बात तो यह है कि लोगों ने उनका वहां बहुत ही भव्य अंदाज में स्वागत किया। इतना ही नहीं, गांव वाले सुनील दत्त से वहां दोबारा बसने के लिए भी कहने लगे थे।

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सुनील दत्त ने इस बात का खुलासा खुद रेडिफ डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में किया था। सुनील दत्त ने इस बारे में बात करते हुए कहा था, “जब मैं वहां पहुंचा तो मेरा बड़े ही शानदार अंदाज में स्वागत किया गया था। वो मुझे अपने साथ खेतों पर भी ले गए और बोले, ‘यह तेरी जमीने हैं बल्ला।’ मेरा नाम बलराज है, ऐसे में लोग मुझे बल्ला कहकर पुकारते थे।”

सुनील दत्त ने इस बारे में बात करते हुए आगे कहा, “मैंने कहा कि नहीं, यह केवल आप लोगों से नाता रखती है।” उन्होंने मुझसे कहा, “नहीं तुम यहां आ जाओ, तुम्हें दे देंगे ये जमीनें।” सुनील दत्त ने लोगों के व्यवहार के बारे में बात करते हुए आगे कहा, “वे केवल बोलने की ही बातें नहीं थीं। उनकी बोली में भी समझदारी और वास्तविकता झलक रही थी।”

सुनील दत्त ने किस्सा साझा करते हुए आगे कहा, “मैं एक एक्टर-डायरेक्टर हूं। मैं चेहरा देखकर यह भांप सकता हूं कि सामने वाला इंसान सच बोल रहा है या नहीं।” विभाजन से जुड़े वक्त को याद करते हुए सुनील दत्त ने कहा, “पार्टीशन के वक्त मेरे पूरे परिवार को एक मुस्लिम द्वारा बचाया गया था। उनका नाम याकूब था और वह मेरे पिता के दोस्त थे, जो कि हमारे गांव से करीब डेढ़ मील की दूरी पर रहते थे।”

पाकिस्तान की याद को साझा करते हुए सुनील दत्त ने आगे कहा, “मैट्रिक के बाद हम पाकिस्तान से भारत आ गए थे। मुझे कभी भी लाहौर जाने का मौका नहीं मिला। लेकिन जब मुझे बेनजीर भुट्टो की शादी में बुलाया गया था तो मैं करांची भी गया था।”