‘कर्मा’, ‘राम लखन’, ‘खलनायक’, ‘परदेस’ और ‘ताल’ जैसी बेहतरीन फिल्मों का निर्देशन कर चुके सुभाष घई इस समय सुर्खियों में बने हुए हैं। दरअसल, इस समय बॉलीवुड में स्टार्स की फीस और उनकी टीम को मैनेज करने पर आने वाले खर्चे को लेकर एक बहस छिड़ी हुई है, जिस पर अभी तक कई जानी-मानी हस्तियां अपना रिएक्शन दे चुकी हैं और अब सुभाष घई ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है। साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आज निर्माता बनने वाले कई अभिनेताओं को फिल्म निर्माण की कला और बिजनेस दोनों की समझ नहीं है।
सुभाष घई ने जाहिर की नाराजगी
सुभाष घई ने कोमल नहाटा से बात करते हुए कहा, ‘जब एक फिल्म जो 100 रुपये की बन सकती है, उसको आप 1000 रुपये में बनाना चाहते हैं, तो याद रखिए कि कई लोग बचे हुए 900 रुपये से पैसा निकालने के लिए उत्सुक होंगे। आज कई विभाग हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना एजेंडा है। हालांकि, एक भी व्यक्ति सहमत बजट के अंदर प्रोजेक्ट को पूरा करने के लक्ष्य के साथ काम नहीं कर रहा है। पहले हमारा विजन छोटी लेकिन अच्छी फिल्में बनाना था।’
इसके आगे उन्होंने कहा कि हमने कभी भी सितारों को फिल्म के बजट के 10-15 प्रतिशत से ज्यादा पैसे नहीं दिए, लेकिन आज स्टार्स लगभग 70 प्रतिशत घर ले जा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह चलन फिल्म निर्माताओं द्वारा नहीं, बल्कि फिल्म निर्माण में शामिल कॉर्पोरेट फर्मों द्वारा शुरू किया गया था। उन्हें ये आंकड़े स्टॉक एक्सचेंज और अपनी बैलेंस शीट में दिखाने होते हैं।
फिर सुभाष घई ने अपनी प्रोडक्शन कंपनी मुक्ता आर्ट्स शुरू करने के पीछे के उद्देश्य को समझाते हुए कहा, “मैंने अनुशासन लाने के लिए इसे शुरू किया था। हमने 43 फिल्में बनाई और एक भी फिल्म बजट से ज्यादा नहीं चली। हमने उन सभी पर मुनाफा भी कमाया, क्योंकि हमने फाइनेंशियल डिसिप्लिन बनाए रखा। पहले हम फिल्मों को भगवान की तरह मानते थे और हम निर्माता सिर्फ इंसान थे। हम तभी भगवान बनते हैं, जब हमारी फिल्में सफल होती हैं। अब, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई फिल्म सफल होती है या नहीं। यह किसी और की है और स्टूडियो में बैठे लोग बस आपस में पैसे कमा रहे हैं।”
