बॉलीवुड के ‘किंग खान’ शाहरुख की मूवी ‘रईस’ 25 जनवरी को रिलीज हो रही है। मूवी में शाहरुख के साथ आपको नवाजुद्दीन सिद्दकी भी नजर आएंगे। मूवी के हालही में जारी किए गए ट्रेलर को देखकर लग रहा है कि मूवी अवैध शराब के धंधे पर बनी है। मूवी की कहानी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि यह मूवी 80 और 90 के दशक में गुजरात में अवैध शराब का धंधा करने वाले गैंगस्टर अब्दुल लतीफ पर आधारित है। लतीफ का गुजरात में अवैध शराब का बड़ा साम्राज्य था। अब्दुल लतीफ अहमदाबाद की गरीब बस्ती में पला बढ़ा था। उसे जल्द ही समझ आ गया था कि बिना पैसे और पावर से अच्छी जिंदगी नहीं जी सकती। लतीफ के पिता तंबाकू बेचते थे। उसने अपने घरवालों की मदद के लिए छोटी ही उम्र में जुआघरों में काम करने शुरू कर दिया। लतीफ के सात भाई-बहन थे।

अब्दुल लतीफ अपराध जगत से पहली बार उस वक्त रूबरू हुए, जब उसकी मुलाकात मंजूर अली से हुई। मंजूर अली एक जुआघर चलाता था। मंजूर ने जब लतीफ के एक अवैध शराब के धंधे वाली जगह काम करते देखा तो उसे अपने बिजनेस की बागडोर संभाला दी। लतीफ जल्द ही अवैध शराब के धंधे के नियम सीख गया और उसने कुछ ही सालों में अपनी ही एक गैंग खड़ी कर ली।

अवैध शराब के धंधे के लिए डिस्ट्रीब्यूटर्स, रिटेलर्स, सप्लायर्स, एक्साइज विभाग और पुलिस में संपर्क बना लिए। इसके बाद उसका धंधा चल निकला। इसी तरह उसके राजनीति में भी अच्छे संपर्क बन गए। इसके साथ ही उसने राज्य में अवैध शराब के धंधे का एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया। इस दौरान लतीफ एक राजनीतिक पार्टी के मुख्य निशाना बने गए। लतीफ पूरे गुजरात में एकाधिकार चाहते थे, इसलिए उसने अपने प्रतिद्वंदी गुटों को खत्म कर दिया। ऐसे में यह एक राजनीतिक मुद्दा बन गया। 1990 में भाजपा ने इसका फायदा विधानसभा चुनाव में उठाने की कोशिश की। लेकिन लतीफ जनता दल के नेतृत्व के नजदीक थे। जनता पार्टी भाजपा की सहयोगी पार्टी थी। ऐसे में यह सुलझा लिया गया। हालांकि, जब 1995 में भाजपा ने अकेले लड़ने का फैसला किया तो लतीफ को फिर टारगेट बनाया गया। इसमें पार्टी को इसका अच्छा फायदा भी हुआ।

अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से नजदीकियों की वजह से उसके अवैध शराब के कारोबार में गिरावट आई थी। उस पर 1992 के मुबंई बलास्ट में हथियार सप्लाई करने का भी शक था। हालांकि, उनका नाम दंगे के 198 आरोपियों में कभी शामिल नहीं किया गया। उसने एक बार पूछताछ के दौरान यह भी स्वीकार किया था कि जब वह 15 महीने कराची में रहा था तो नियमित दाऊद इब्राहिम से मिलता था। हालांकि, उसकी मुलाकात बिजनेस के सिलसिले में होती थी।

गुजरात में जब लतीफ का अवैध शराब का कारोबार चलता था था तो उस पर 97 केस दर्ज थे। इनमें 15 केस हत्या के शामिल थे। उसे 10 अक्टूबर 1995 को एटीएस ने दिल्ली के जामा मस्जिद से गिरफ्तार किया था। एटीएस ने उसे दो महीने तक ढूंढ़ा था, उसके बाद वह एटीएस के हत्थे चढ़ा था। दो साल बाद अब्दुल लतीफ को उस वक्त एनकाउंटर में मार गिराया गया, जब वह बचकर भागने की कोशिश कर रहा था। उसकी गिरफ्तारी और एनकाउंटर भाजपा के पक्ष में गया।

शाहरुख खान की मूवी रईस के निर्माताओं का कहना है कि अब्दुल लतीफ की कहानी से कुछ पहलू जरूर लिए गए हैं, लेकिन मूवी की कहानी का उनसे कोई लेना देना नहीं है। मूवी 25 जनवरी को रिलीज की जा जाएगी।

यहां देखें मूवी का ट्रेलर-