निर्देशक नितेश तिवारी की अपकमिंग महाकाव्य ‘रामायण’ 2026 की मोस्ट अवेटेड फिल्मों में से एक है। आध्यात्मिक लीडर सद्गुरु ने हाल ही में फिल्म के निर्माता नमित मल्होत्रा ​​​​के साथ इस प्रोजेक्ट और इस तरह की कहानी को जीवंत करने के साथ आने वाली अपार जिम्मेदारी पर चर्चा की। नमित ने सद्गुरु को अपने सफर के बारे में बताया और उनसे पूछा कि उन्हें इतने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए क्यों चुना गया।

उन्होंने कहा, “मैं काफी हद तक सफल जीवन जी रहा हूं। मेरा मतलब है, एक एप्पल कंप्यूटर से अकेले शुरुआत करके, फिर दुनिया की सबसे बड़ी विज़ुअल इफेक्ट्स कंपनी बनने तक। मुझे लगता है कि मेरे 30 साल के करियर ने मुझे ‘रामायण’ बनाने के लिए तैयार किया, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि 20 साल का मैं इसके साथ न्याय कर पाता। आपको क्या लगता है, ऐसा क्यों हुआ?”

सदगुरु ने जवाब देते हुए कहा, “उन साधारण सच्चाइयों के लिए रहस्यमय कारण मत ढूंढ़ो जो बहुत पहले घटित हो जानी चाहिए थीं। हमारा दिमाद इतना धोया और सम्मोहित किया गया है कि इन 80 सालों में हमने राम, शिव और कृष्ण पर आधारित एक भी सार्थक फिल्म नहीं बनाई है।”

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आध्यात्मिक गुरु ने आगे कहा, “जिन लोगों ने वे फिल्में बनाईं, मुझे वे बहुत ही साधारण लगीं। फिर भी उन चीजों का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। जब टेलीविजन पर ‘महाभारत’ चल रही होती थी, तो भारत की सड़कें खाली हो जाती थीं। सड़कों पर कोई भी व्यक्ति नहीं होता था – दर्शकों पर उसकी यही पकड़ थी। आकांक्षाओं का स्तर इतना था, लेकिन हमने उन्हें अधूरा छोड़ दिया।”

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सद्गुरु ने तर्क दिया कि विश्व की वर्तमान स्थिति बहुत चिंताजनक है, और युवा पीढ़ी को यह दिखाने की आवश्यकता है कि ‘रामायण’ वास्तव में क्या है। उन्होंने कहा, “युवा पीढ़ी को ‘रामायण’ का असली सार दिखाने की जरूरत है। क्योंकि उन्होंने (राम ने) इसलिए युद्ध किया क्योंकि उन्हें लगा कि कुछ अन्याय हो रहा है, इसलिए नहीं कि वे युद्ध के लिए लालायित थे। उन्हें अपने शत्रुओं को मारकर पश्चाताप हुआ। आज हम पहले से ज्यादा सशक्त हैं; हम धनुष-बाण का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। हमारी लड़ाई मानवता को खत्म कर देगी और ‘रामायण’ कई मायनों में हमारे मानव होने के मूल में छिपी हुई चीजो का प्रतिनिधित्व करती है।”