उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है। सत्ताधारी दल सत्ता में वापस लौटने के लिए जहां पुरजोर तैयारी कर रही है तो वहीं विपक्षी दल भी प्रचार-प्रसार करने से पीछे नहीं हट रहे हैं। इसके साथ ही वे सत्तारूढ़ दल को भी घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते। यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इंडिया टीवी के ‘मुकाबला’ में भी चर्चा हुई, जहां भाजपा से लेकर सपा, बसपा के प्रवक्ता व राजनैतिक विशेषज्ञ भी मौजूद रहे। लेकिन डिबेट के बीच ही सपा नेता ने भाजपा को रंगा सियार बता दिया, साथ ही आरोप लगाया कि उन्हें भगवान से कोई लेना-देना नहीं है।

दरअसल, सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया से न्यूज एंकर ने सवाल किया, “अखिलेश यादव माथे पर तिलक लगाए दिखाई दिए और हाथ में फरसा थामा हुआ था। भाजपा का कहना है कि जिन्नावादियों को हमने वैदिक संस्कृति का भांग दिला दिया।” उनकी बात का जवाब देते हुए सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा, “देखिये भारतीय जनता पार्टी का आपको पता है कि झूठी और जुमलेबाज पार्टी है।”

सपा प्रवक्ता ने अपनी बात को बढ़ाते हुए आगे कहा, “इन्हें तो भारतीय संस्कृति के बारे में भी नहीं पता। भारतीय संस्कृति यह नहीं कहती कि महिलाओं का चीरहरण आपकी सरकार में होगा और आप कोई कार्रवाई नहीं करेंगे। भारतीय संस्कृति यह नहीं कहती कि किसानों को रौंद दिया जाए और रौंदने वाले के पिता को गृह राज्य मंत्री बना दिया जाए। संस्कृति यह नहीं कहती कि समाज में नफरत डालो।”

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता यहीं नहीं रुके। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए आगे कहा, “भारतीय संस्कृति हमेशा यही कहती है कि कैसे आपस में भाईचारा हो, विकास हो, महिलाओं का सम्मान हो।” उनकी बात पर न्यूज एंकर ने टोकते हुए कहा, “विरोधी आपके कहते हैं कि 30 साल बाद आपको परशुराम जी का मंदिर बनाने की याद आई, फरसा अखिलेश जी ने हाथ में लिया।”

उनकी बात का जवाब देते हुए अनुराग भदौरिया ने कहा, “अभी आपके सामने मैं इनसे स्तुति सुनुंगा और खुद भी सुनाउंगा, देखता हूं कितनी सुना पाते हैं। ये सब रंगे सियार हैं, इन्हें भगवान से कोई लेना-देना नहीं है। भगवान से लेना-देना होता तो बच्चे ऑक्सीजन के अभाव में तड़प-तड़पकर नहीं मरते।”

अनुराग भदौरिया की बात पर पलटवार करते हुए भाजपा प्रवक्ता केके शर्मा ने कहा, “भारतीय संस्कृति पर प्रवचन दे रहे थे। ये वही सपा है, जब मुजफ्फरनगर में दंगा होता है तो कहते हैं कि केवल मुस्लिमों को मुआवजा मिलेगा, हिंदुओं को नहीं। अयोध्या का नाम लेने पर शर्म आनी चाहिए इन्हें, क्योंकि उन्होंने रामलीला यह कहते हुए बंद करा दी थी कि हमारे पास पैसे नहीं हैं।”