बॉलीवुड के वरिष्ठ अभिनेता-फिल्मकार शशि कपूर ने आज प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार ग्रहण किया। यहां ऐतिहासिक पृथ्वी थिएटर में केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने उन्हें इस सम्मान से नवाजा।
वरिष्ठ कलाकार दिवंगत राजकपूर और शम्मी कपूर के छोटे भाई शशि अपनी बीमारी के वजह से तीन मई को हुए पुरस्कार वितरण समारोह में दिल्ली नहीं आ सके थे। इसलिए आज जेटली ने मुंबई जाकर उन्हें यह पुरस्कार दिया।
कपूर को सम्मान दिए जाने के बाद जेटली ने कहा, ‘‘यह एक महत्वपूर्ण पल है जब हमारे एक वरिष्ठ अभिनेता को इस पुरस्कार से नवाजा जा रहा है। यह शशि कपूर को दिया जा रहा है। वह निश्चित रूप से भारतीय सिनेमा का एक ऐसा बहुआयामी व्यक्तित्व हैं जो कभी कभी जन्म लेता है। एक अभिनेता के साथ साथ वे एक अच्छे निर्माता और निर्देशक भी हैं। हम उन्हें यहां उनके द्वारा स्थापित संस्थान में सम्मानित कर रहे हैं।’’
शशि (77), कपूर परिवार के तीसरे सदस्य हैं जिन्हें सरकार की ओर से इस पुरस्कार से नवाजा गया है। इससे पहले उनके पिता पृथ्वीराज कपूर और बड़े भाई राज कपूर को इस सम्मान से नवाजा जा चुका है।
जेटली ने कहा, ‘‘अगर इसी तरह की प्रतिभा कपूर परिवार से आती रही तो मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि यह उनके परिवार के लिए आखिरी पुरस्कार नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन की कामना करता हूं।’’
काले लिबास पर एक नारंगी शॉल पहने शशि ने पृथ्वी थिएटर में एक व्हीलचेयर पर प्रवेश किया। सम्मानित करते हुए जेटली ने उन्हें एक प्रमाणपत्र, शॉल, मेडल और एक चेक दिया। पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कपूर ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का नमस्ते कर अभिवादन किया।
पृथ्वी थिएटर की स्थापना शशि ने अपने पिता की याद में की थी, जो फिलहाल उनकी बेटी संजना की देखरेख में फलफूल रहा है। शशि का जन्म 18 मार्च 1938 को पृथ्वीराज कपूर के यहां हुआ था। चार साल की उम्र से ही वह अपने पिता के निर्देशन में बनने वाले नाटकों में काम करने लगे थे।
उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 40 के दशक के उत्तरार्द्ध में बाल कलाकार के रूप में की थी। बाल कलाकार के तौर पर उन्होंने ‘आग’ और ‘आवारा’ में काम किया था जहां उन्होंने राज कपूर के बचपन का किरदार अदा किया था।
शशि ने 1950 के दशक में सहायक निर्देशक के तौर पर भी काम करना शुरू किया। कपूर ने फिल्मों में नायक के रूप में पदार्पण वर्ष 1961 में फिल्म ‘धर्मपुत्र’ से किया था और अब तक वह 116 से भी ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं। ‘नमक हलाल’, ‘दीवार’, ‘कभी कभी’ और ‘काला पत्थर’ उनकी काफी सराही गई फिल्में हैं।
वर्तमान में वे गुर्दे की बीमारी से पीड़ित हैं जिस वजह से व्हीलचेयर पर रहते हैं। वर्ष 2011 में उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया था।